7 सालों में 177 सांसदों व विधायकों ने छोड़ दी कांग्रेस, कमल बना उम्मीदवारों की पहली पसंद, जानें अन्य दलों का हाल

0

भारत के राजनैतिक परिदृश्य में दल बदलने की घटनाएं कोई नई नहीं हैं। अपने राजनैतिक नफा नुकसान को ध्यान में रखते हुए नेताओं का एक दल से दूसरे दल में जाना आम बात है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद विधिवत रूप से भाजपा में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता स्व. माधवराव सिंधिया की विरासत संभालने वाले एवं राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का चुनावों के बाद अपने 24 समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाना जो बाद में मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने का कारण भी बना।  हाल ही में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने पार्टी को अलविदा कहा है। चुनाव और चुनाव के दौरान नेता कैसे दल बदल लेते हैं। चुनाव लड़ने के लिए, जीत के लिए ये तो आपने खूब देखा और सुना है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि 2014 से 2021 तक कुल 1133 उम्मीदवारों और 500 सांसदों-विधायकों ने पार्टियां बदलीं और चुनाव लड़े।  वहीं कांग्रेस पार्टी के 177 सांसदों व विधायकों ने पार्टी से किनारा काट लिया। इसके साथ ही बीजेपी से कितने छिटके वो भी आपको बताते हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से 2021 के बीच के कुल 222 उम्मीदवार कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए तथा इसी दौरान 177 सांसदों एवं विधायकों ने भी देश की सबसे पुरानी पार्टी का साथ छोड़ दिया।

बसपा और सपा का क्या रहा हाल

दल बदल के मामले में कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा मायावती की बहुजन समाज पार्टी को रूबरू होना पड़ा है। गत सात वर्षों के दौरान 153 उम्मीदवार और 20 सांसद-विधायक बसपा से अलग होकर दूसरी पार्टियों में चले गए। इसी के साथ, कुल 65 उम्मीदवार और 12 सांसद-विधायक भी बसपा में शामिल हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से समाजवादी पार्टी से 60 उम्मीदवार और 18 सांसद-विधायक अलग हुए तथा 29 उम्मीदवार और 13 सांसद-विधायक उसके साथ जुड़े। 

इसे भी पढ़ें: कांग्रेस का कश्मीर से कन्याकुमारी तक दबदबा अब वैसा नहीं रहा : शरद पवार

क्षेत्रिए क्षत्रपों की स्थिति

कुल 31 उम्मीदवारों और 26 सांसदों एवं विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस का साथ छोड़ा तथा 23 उम्मीदवार और 31 सांसद-विधायक उसमें शामिल हुए। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, जनता दल (यू) के 59 उम्मीदवारों और 12 सांसदों-विधायकों ने उससे अलग हो गए। इस दौरान 23 उम्मीदवार और 12 विधायक एवं सांसद उसमें शामिल हुए।

भाजपा सबसे फायदे में रही

एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014 से भाजपा से भी 111 उम्मीदवार और 33 सांसद-विधायक अलग हुए, हालांकि इसी अवधि में 253 उम्मीदवार और 173 सांसद एवं विधायक दूसरे दलों को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए।

 

 

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *