आरजेडी में सत्ता का संघर्ष ! दो फाड़ में पार्टी
- दो ध्रुवों पर दिख रहे लालू के दोनों लाल
- प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह बने मोहरा
लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। लालू के दोनों बेटे तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच अब सत्ता का संघर्ष तेज हो गया है। भले ही दोनों भाई मंच पर एक साथ दिखते हो, तेजस्वी को तेज प्रताप अपना कृष्ण बताते हो लेकिन हाल-फिलहाल के घटनाक्रम दोनों भाइयों के बीच की टकराव की स्थिति को दिखा रहे हैं।
आलम यह है कि तेजस्वी के पसंदीदा जगदानंद सिंह आजकल तेज प्रताप के निशाने पर हैं। तेज प्रताप से नाराज होकर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पिछले 10 दिनों से पार्टी दफ्तर नहीं पहुंचे थे। तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच टकराव उस समय बढ़ गया जब जगदानंद सिंह ने तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद तेज प्रताप के बेहद करीबी आकाश यादव को छात्र आरजेडी के अध्यक्ष पद से हटा दिया।
जगदानंद सिंह के मुताबिक छात्र आरजेडी का अध्यक्ष पद काफी दिनों से खाली पड़ा था जिस पर उन्होंने गगन कुमार को मनोनीत कर दिया। तेज प्रताप की नाराजगी का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। तेजस्वी और तेज प्रताप ने साफ तौर पर कहा कि जगदानंद सिंह में जो फैसला लिया है वह पार्टी के संविधान के विपरीत है।
तेज प्रताप ने ट्वीट किया,” प्रवासी सलाहकार से सलाह लेने में अध्यक्ष जी ये भूल गए की पार्टी संविधान से चलता है और राजद का संविधान कहता है की बिना नोटिस दिए आप पार्टी के किसी पदाधिकारी को पदमुक्त नहीं कर सकते। आज जो हुआ वो राजद के संविधान के खिलाफ हुआ” अगर देखा जाए तो आकाश यादव को हटाकर गगन कुमार को छात्र अध्यक्ष बनाने का फैसला तो जगदानंद सिंह का है। लेकिन माना जा रहा है कि इस फैसले के पीछे तेजस्वी यादव का हाथ है। तेजस्वी यादव की हरी झंडी के बाद जगदानंद सिंह ने आकाश की छुट्टी की है। हाल में ही छात्र आरजेडी की एक सभा हुई थी जिसके पोस्टर से तेजस्वी यादव गायब थे।
जगदानंद सिंह के फैसले का तेजस्वी यादव ने समर्थन करते हुए कहा कि यह पार्टी में कोई भी फैसला लेने के लिए जगदानंद सिंह स्वतंत्र हैं। पार्टी में कौन रहेगा, कौन नहीं रहेगा, पार्टी में क्या बदलाव होगी और क्या विस्तार होगा यह सब फैसला लेने के लिए वह प्रदेश अध्यक्ष के नाते स्वतंत्र हैं। और यहीं से तेज प्रताप यादव की नाराजगी शुरू होती है। खबरों के मुताबिक तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार और पार्टी की कमान दोनों मिलने की संभावना से तेज प्रताप यादव असहज हो रहे हैं। यही कारण है कि उन्होंने पार्टी में अपनी सक्रियता को बढ़ा दी है।
सूत्र यह बता रहे हैं कि प्रवासी सलाहकार जैसे शब्द का इस्तेमाल तेजस्वी यादव के लिए ही किया गया है हालांकि दोनों भाइयों के बीच की टकराव फिलहाल सामने तो नहीं आई है लेकिन इसे दोनों भाइयों की टकराव ही मान रहे हैं जिसका मोहरा जगदानंद सिंह है। तेज प्रताप यादव लगातार जगदानंद सिंह पर निशाना साधते हैं तो वहीं तेजस्वी हमेशा जगदानंद सिंह के साथ खड़े रहते हैं।
तेज प्रताप यादव ने कुछ दिन पहले ही एक कार्यक्रम में जगदानंद सिंह को हिटलर कह दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि कुर्सी किसी की बपौती नहीं होती है। आकाश यादव को उनके पद से हटाकर तेजस्वी ने इस बात का भी संकेत तेजप्रताप को दे दिया है कि अब वह केवल मुख्यमंत्री उम्मीदवार ही नहीं बल्कि पार्टी के तमाम फैसले भी उन्हीं की मर्जी से लिए जाते हैं।