लोकसभा में पास हुआ रक्षा सेवा विधेयक 2021, विपक्ष ने बताया कठोर
पेगासस जासूसी मुद्दे पर हंगामे के बीच, लोकसभा में एक विधेयक पारित हुआ, जिसके तहत आयुध कारखानों के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने पर रोक लगाई जा सकती है। आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 को बिना किसी चर्चा के ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने दोपहर 2 बजे विधेयक पारित किया, जबकि विपक्षी नेताओं ने नारेबाजी की और पेगासस मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा किया।
वहीं विपक्ष ने विधेयक को कठोर बताते हुए, इसे कर्मचारियों को विरोध करने के उनके लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करने वाला बताया। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने इसे पारित करने से पहले सभी कर्मचारी संघों को विश्वास में लिया था।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखकर लाया गया है। यह विधेयक इसलिए लाया गया है ताकि हमारे रक्षा बलों के लिए आपूर्ति में कोई बाधा न आए। हम पहले ही सभी यूनियनों के साथ चर्चा कर चुके हैं। यह संभव है कि हमें इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने की भी आवश्यकता नहीं है। किसी भी हाल में यह केवल एक वर्ष के लिए है।
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भट्ट ने कहा कि रक्षा जरूरतों और आपूर्ति को बिना किसी बाधा के पूरा करने के लिए कोई कानून नहीं है। पिछले साल अध्यादेश जारी किया गया था। यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है। कोई कर्मचारी प्रभावित नहीं होने वाला है।
भट्ट ने कहा कि विधेयक लाना पड़ा, क्योंकि श्रमिकों ने हड़ताल का नोटिस दिया था। अगर हड़ताल के लिए कोई नोटिस नहीं होता, तो इसे आगे नहीं लाया जाता। किसी के भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं होगा और कर्मचारियों के लिए सभी सुविधाएं बनी रहेंगी। बिल में सनसेट क्लॉज है। हमने सभी कर्मचारियों से बात की है। कोई संकट नहीं है। मैं सभी सदस्यों को आश्वस्त करता हूं और उनसे विधेयक पारित करने का आग्रह करता हूं।
हंगामे के बीच आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधेयक है। भारत में 41 आयुध कारखाने हैं। यह ओएफबी के निजीकरण का एक अप्रत्यक्ष तरीका है। इसका एकमात्र उद्देश्य हड़तालों पर प्रतिबंध लगाना है। 84,000 कर्मचारी हैं और उनके विरोध का वैध अधिकार छीना जा रहा है। हंगामे के बीच बिल पास करना ठीक नहीं है।
स्पीकर ओम बिरला से बार-बार शांति बनाए रखने और विधेयक पर बहस करने के अनुरोध को विपक्षी सदस्यों ने नजरअंदाज कर दिया।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह श्रमिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंटने के लिए लाया जा रहा है। सरकार चर्चा के मूड में नहीं है। हमारी मांग है कि आप पेगासस पर चर्चा करें, हम सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे। जब सदन ठीक से नहीं चल रहा हो तो इस विधेयक को पारित नहीं किया जाना चाहिए। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि विधेयक मजदूर विरोधी है। उन्होंने कहा कि आयुध कारखानों के निगमीकरण के विरोध में श्रमिकों ने हड़ताल का नोटिस दिया है।
गुरुवार को पेश किए गए विधेयक में उल्लेख किया गया है कि यह आवश्यक रक्षा सेवाओं के रखरखाव के लिए प्रदान करने के लिए है, ताकि किसी भी आकस्मिक मामले दौरान राष्ट्र की सुरक्षा और बड़े पैमाने पर जनता के जीवन और संपत्ति को सुरक्षित किया जा सके। हालांकि सरकार ने कहा कि भारतीय आयुध कारखाने सबसे पुराना और सबसे बड़ा औद्योगिक सेटअप है जो रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के तहत कार्य करता है। आयुध कारखाने रक्षा हार्डवेयर और उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन के लिए एक एकीकृत आधार बनाते हैं, जिसका प्राथमिक उद्देश्य सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस करना है।
इसके अलावा, मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह जरूरी महसूस किया गया कि सशस्त्र बलों को देश की रक्षा तैयारियों के लिए आयुध वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखी जाए और आयुध कारखाने बिना किसी व्यवधान के कार्य करना जारी रखें। खासकर देश के उत्तरी मोर्चे पर यह आवश्यक महसूस किया गया कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सरकार के पास शक्ति होनी चाहिए और रक्षा से जुड़े सभी प्रतिष्ठानों में आवश्यक रक्षा सेवाओं के रखरखाव को सुनिश्चित करना चाहिए।
यह विधेयक सरकार को इसमें उल्लिखित सेवाओं को आवश्यक रक्षा सेवाओं के रूप में घोषित करने का अधिकार देता है, साथ ही यह किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान या आवश्यक रक्षा सेवाओं में लगी इकाई में हड़ताल और तालाबंदी पर भी रोक लगाता है।
