जूस बेचने वाले कि कहनी, कैसे बना था म्यूजिक कंपनी का मालिक
- मंदिर के बाहर दागी थी 16 गोलियां
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को अब्दुल रऊफ द्वारा दायर एक अपील को खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि अब्दुल ने अगस्त 1997 में टी-सीरीज़ के संस्थापक गुलशन कुमार की हत्या कर दी थी जिसके बाद उसे कोर्ट ने हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अप्रैल 2002 में, सत्र न्यायाधीश एमएल ताहिल्यानी ने अब्दुल रऊफ उर्फ दाउद मर्चेंट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। रऊफ ने इस फैसले के खिलाफ अपील की थी। वह गुलशन कुमार हत्याकांड के हत्यारों में से एक था। बता दें कि अदालत ने आरोपी रमेश तौरानी को बरी करने के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य सरकार की अपील को भी खारिज कर दिया है।
टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की 12 अगस्त, 1997 को मुंबई के एक मंदिर से बाहर आते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रऊफ सहित हत्यारे दो महीने से अधिक समय से कुमार की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे और यह हत्या कथित तौर पर दाऊद इब्राहिम गिरोह के इशारे पर की गई थी।
- कौन थे गुलशन कुमार?
5 मई 1951 को जन्मे गुलशन कुमार दुआ दिल्ली के दरियागंज इलाके के एक जूस विक्रेता के बेटे थे। उन्होंने कम उम्र में ही अपने पिता को बिजनेस में मदद करना शुरू कर दिया था। कुमार संगीत की ओर तब आकर्षित हुए जब उनके परिवार ने रिकॉर्ड और कैसेट बेचने वाली एक दुकान खरीदी। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज के नाम से जानी जाने वाली अपनी संगीत कैसेट फर्म शुरू की। अपने व्यवसाय में मुनाफा होने के बाद, वह मुंबई चले गए। फिल्मों के अलावा, कुमार ने भक्ति गीतों के एल्बम भी बनाए जो आज भी काफी लोकप्रिय हैं।
- क्या हुआ था 12 अगस्त को गुलशन कुमार के साथ?
12 अगस्त 1997 का वो समय जब गुलशन कुमार की मुंबई के अंधेरी में एक मंदिर जाते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई। तीन हमलावरों ने गुलशन कपमार पर 16 गोलियां मारी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई फिर 30 अगस्त, 1997 को संगीतकार जोड़ी नदीम-श्रवण के संगीतकार नदीम अख्तर सैफी को गुलशन कुमार की हत्या में सह-साजिशकर्ता घोषित किया गया। माना जाता है कि गुलशन कुमार ने कथित तौर पर अपने एल्बम “है अजनबी” को उचित प्रचार नहीं दिया था जिसके बाद से नदीम काफी नाराज हो गए थे, बाद में नदीम को इस मामले में बरी कर दिया गया था। वह तब से यूनाइटेड किंगडम में है।
अक्टूबर 1997 को फिर टिप्स के मालिक रमेश तौरानी को भी अपराध के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। तौरानी ने कथित तौर पर गुलशन कुमार के हत्यारों को 25 लाख रुपये दिए थे।
हालांकि पुलिस कोर्ट में आरोप साबित करने में नाकाम रही। तौरानी की टिप्स कैसेट्स उस दौरान गुलशन कुमार की टी-सीरीज की मुख्य प्रतिद्वंद्वी थी। नवंबर 1997 को पुलिस ने 400 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की जिसमें 26 लोगों को आरोपी बनाया गया और पंद्रह लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में एक आरोपी मोहम्मद अली शेख सरकारी गवाह बन गया।
पुलिस द्वारा चार्जशीट में कहा गया है कि गुलशन कुमार की हत्या की साजिश दुबई में दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस के इशारों पर की गई थी। साल 2001, जनवरी महीने में गुलशन कुमार के हत्यारों में से एक अब्दुल रऊफ उर्फ दाउद मर्चेंट को कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया गया और जून 2001 में गुलशन कुमार की हत्या के मामले में सुनवाई शुरू हुई। जिसमें 26 में से 18 को कुमार की हत्या से बरी कर दिया गया और अब्दुल रऊफ को दोषी पाया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।