जीरो कोरोना केस या वैक्सीन लगने तक बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहते पैरंट्स!
देश में कोरोना के मामलों में तेजी से गिरावट आई है जिसको देखते हुए सरकार ने भी कुछ ढील के साथ दुकानों और कार्यालय को खोलने के निर्देश दे रही है।
- स्कूल खुलने चाहिए या नहीं
वहीं स्कूल खुलने चाहिए या नहीं इसको लेकर सरकार अभी कोई बड़ा फैसला नहीं लेना चाहती है वहीं माता-पिता भी अभी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के नाम से ही कतरा रहे है। आपको बता दें कि सरकार बच्चो के कोरोना वैक्सीन को लेकर ट्रायल भी शुरू कर चुकी है। भारत का भारत बायोटेक कोवैक्सीन और नाक से लेने वाली सिंगल डोज वैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल किया जा रहा है।
भारत बायोटेक के साथ-साथ जायडस भी 12 से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर रही है। माना जा रहा है कि आने वाली कोरोना की तीसरी लहर सबसे ज्यादा बच्चों को ही प्रभावित कर सकता है। इसको देखते हुए सीरम भी बच्चो के कोरोना वैक्सीन के लिए नोवावैक्स टीके का जल्द ही ट्रायल शुरू करने वाली है।
- क्या कहता है लोकल सर्कल्स का सर्वे?
लोकल सर्कल्स सर्वे के मुताबिक, अगर कोरोना से हालात काबू भी पा लिया जाता है तब भी कई पैरंट्स अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। स्कूल खोलने को लेकर मार्च 2020 से अब तक 6 सर्वे में 69% पैरंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार थे।
लेकिन अब इस साल कोरोना की दूसरी लहर से बिगड़े हालात को देखते हुए अब केवल 20% पैरंट्स ऐसे है जो अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते है वहीं 65% पैरंट्स वैक्सीन जब तक उपलब्ध नहीं हो जाती और बच्चो को टीका लग नहीं जाता तब तक स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं है।