झारखण्ड/पाकुड़ (संवाददाता) : श्री गुरूदेव कोचिंग सेन्टर, थानापाड़ा, पाकुड़ परिसर में सामाजिक दूरी बनाते हुए सरकार के कोविड गाइडलाइन अंतर्गत भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी बाबू वीर कुँवर सिंह की जयन्ती मनाई गई।

 

उपरोक्त अवसर पर श्री सारस्वत स्मृति के कार्यकारी अध्यक्ष भागीरथ तिवारी ने कविता के माध्यम से अपने सम्बोधन में वीर कुँवर सिंह के बारे में कहा :

 

कहते हैं एक उमर होती है,
जीवन में कुछ कर जाने की।

गर बात वतन की आये तो,
हर रुत होती है मरने की।
ये सबक हमें है सिखलाया,
इक ऐसे राजदुलारे ने।

सन सत्तावन की क्रांति में,
जो प्रथम था विगुल बजाने में।
अस्सी की आयु थी जिनकी,
पर लहू राजपूताना था।
थे कुँवर सिंह जिनको सबने,
फिर भीष्म पितामह माना था।

गर प्रथम वीर सत्तावन का,
वह भीष्मपितामह न होता।
आजाद देश का सपना भी,
इतना आसान न होता।

 

वहीं पंतजलि के जिलाध्यक्ष संजय कुमार शुक्ला ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुँवर सिंह 80 वर्ष के उम्र में लड़ने और बिजय प्राप्त करने का जज्बा रखते थे। अपने ढ़लते उम्र और बिगड़ते सेहत के बाबजूद भी उन्होंने कभी भी अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके बल्कि उनका डटकर सामना किया, अंग्रेजों को कई जगह और कई बार हराया।

 

 

सचिव रामरंजन कुमार सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि बिहार के शाहाबाद (भोजपुर) जिले के जगदीशपुर गाँव में जन्मे बाबू वीर कुँवर सिंह का जन्म 23 अप्रैल 1777 में प्रसिद्ध भोज के वंशजों में हुआ, इनके वंशज जागीरदार थे। सहृदय और लोकप्रिय बाबू कुँवर सिंह शाहाबाद की कीमती और अतिविशाल जागीरों के मालिक थे।

 

 

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बाबू वीर कुँवर सिंह की भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी। अंग्रेजों को भारत से भगाने के देश के सभी वर्गों के लोगों ने तन-मन-धन से सहयोग किया। मंगल पाण्डेय की बहादुरी ने सारे देश को अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा किया। ऐसे हालात में बाबू कुँवर सिंह भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया। अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये। विजय की लहर चल पड़ी। रात्रि के समय गंगा पार करते हुए उनके बाँह में अंग्रेजों की गोली लग गयी। उन्होंने अपनी तलवार से गोली लगे बाँह को काटकर गंगा में प्रवाहित कर दिया। वे बुरी तरह घायल थे। 1857 की क्रांति के इस महान नायक का आखिरकार अदम्य वीरता का प्रदर्शन करते हुए 26 अप्रैल 1858 को आखिरी साँस ली।

आकाश भगत

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed