अब अमेरिका करेगा जामताड़ा के शातिर ठगों पर रिसर्च, समझेंगा साइबर फ्रॉड का पूरा खेल
नई दिल्ली : झारखंड के जामताड़ा में साइबर अपराध की वारदातें दिनों दिन बढ़ती ही जा रही हैं। साइबर अपराध के लिए जामताड़ा का नाम इस कदर खराब होने लगा है कि जिले में हर रोज़ किसी ना किसी राज्य कि पुलिस जांच पड़ताल के लिए यहां पहुंची रहती है। ये जिला अब साइबर अपराध का गढ़ बन चुका है।
जामताड़ा के करमातर पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड के अनुसार से विभिन्न राज्यों की 12 पुलिस टीमें अप्रैल 2015 से लेकर मार्च 2017 के बीच 23 बार इस जिले में चक्कर लगा चुकी हैं। इस दौरान पुलिस टीम ने साइबर क्राइम के अलग-अलग मामलों में करीब 38 अपराधियों को दबोचा भी है।
इतना ही नहीं जामताड़ा पुलिस ने जुलाई 2014 से लेकर जुलाई 2017 के मध्य क्षेत्र के 330 निवासियों के खिलाफ 80 से अधिक साइबर क्राइम के मामले दर्ज किए हैं। अगर सिर्फ करमातर पुलिस स्टेशन की ही बात करें तो साल 2017 में यहां की पुलिस ने ठगी के मामलों में 100 से अधिक गिरफ्तारी की थी।
जामताड़ा में अपराधी इस कदर साइबर फ्रॉड करने में लगे हुए हैं कि इनकी हरकतों की खबर अमेरिका तक पहुंच चुकी है। ऐसे में अमेरिका की एक एजेंसी इन अपराधियों और इनके धंधे पर रिसर्च करने में दिलचस्पी दिखा रही है। जिले में साक्षरता दर काफी कम है। ऐसे में अमेरिका की एजेंसी यहां आकर ये देखेगी की कम पढ़ा लिखा होने के बावजूद यहां के युवा आखिर कैसे लोगों को टेक्नोलॉजी के जरिए ठग लेते है।
अमेरिकी एजेंसी जामताड़ा के युवकों का ब्रेन मैपिंग कर यह जांचेगी कि आखिर कैसे अशिक्षित होते हुए भी यहां के साइबर ठगों को आईटी की बारीकियां मालूम है जिससे वे किसी का भी अकाउंट हैक कर लेते हैं। इन सभी बिंदुओं को लेकर दिल्ली में डीजीपी स्तर के अधिकारियों ने बैठक भी की है। जामताड़ा के एसपी दीपक कुमार सिन्हा ने बताया कि फिलहाल अमेरिकी एजेंसी के जामताड़ा में आने कि कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो रिसर्च करने में पुलिस प्रशासन उनकी पूरी मदद करेगी।