हंसडीहा थाना प्रभारी और निजी चालक पर पत्रकार के साथ मारपीट का गंभीर आरोप

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  • मामला लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले का

झारखण्ड/दमका : जिले में पत्रकार पर हमले का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। पत्रकार मृत्युंजय पांडे ने पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत देकर हंसडीहा थाना प्रभारी और उनके निजी चालक पर थाने के भीतर बर्बर मारपीट, गाली-गलौज और अवैध हिरासत मे रखने का गंभीर आरोप लगाया है।

पीड़ित पत्रकार के अनुसार, 27 दिसंबर की रात करीब 10:30 बजे वह रिपोर्टिंग कर वापस लौट रहे थे, तभी रास्ते में एक व्यक्ति ने उन्हें रोककर खुद को प्रभावशाली बताते हुए धक्का-मुक्की शुरू कर दी। पत्रकार द्वारा अपना परिचय देने और वीडियो रिकॉर्ड करने की बात कहने पर हमला और उग्र हो गया।

 

जान बचाकर पत्रकार हंसडीहा थाना पहुंचे, लेकिन आरोप है कि वहां भी उन्हें कोई सुरक्षा नहीं मिली।लिखित शिकायत में कहा गया है कि थाना परिसर के भीतर एक कमरे में बंद कर दोबारा बेरहमी से पीटा गया, गालियां दी गईं और करीब आधे घंटे तक लगातार मारपीट की गई।

 

सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि मारपीट करने वाले कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि खुद थाना प्रभारी और उनका निजी चालक थे।

घटना की जानकारी मिलते ही अन्य थानों के अधिकारी और प्रेस से जुड़े लोग मौके पर पहुंचे, तब जाकर मामला शांत हुआ। पीड़ित पत्रकार ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताते हुए दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

 

अब सवाल उठता है की क्या अब थाना, पत्रकारों और आम नागरिकों के लिए भी सुरक्षित नहीं रहे? क्या वर्दी की आड़ में सच की आवाज दबाई जा रही है?

उपरोक्त मामला सिर्फ एक पत्रकार की पिटाई का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रीढ़—स्वतंत्र पत्रकारिता—पर सीधा हमला है। अब निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि दोषियों पर कार्रवाई होगी या मामला फाइलों में दबा दिया जाएगा?