पाकुड़ में 12.38 करोड़ का घोटाला उजागर, अधीक्षक समेत 26 लोगों पर मामला दर्ज़

1200-675-25597182-thumbnail-16x9-pakur-aspera
  • फर्जी एडवाइस के जरिए निकाले गए करोड़ों
  • बैंक कर्मियों के मिलीभगत होने का अंदेशा

झारखण्ड/पाकुड़ (ब्यूरो) : ज़िले के कल्याण विभाग में 12.38 करोड़ रुपये की अवैध निकासी/गबन का मामला सामने आया है, जिसमें कार्यालय अधीक्षक, कंप्यूटर ऑपरेटर, अनुसेवक और बैंक कर्मियों सहित 26 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और कुछ कर्मियों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया है।

 

कैसे हुआ मामला उजागर

विगत 8 दिसंबर को एसबीआई बाजार ब्रांच के प्रबंधक अभिनव कुमार ने कल्याण पदाधिकारी को सूचित किया कि विभाग से भेजे गए एडवाइस में उनके हस्ताक्षर बैंक में दर्ज हस्ताक्षर से मेल नहीं खा रहे हैं। प्रबंधक ने बताया कि अनुसेवक अक्षय रविदास एडवाइस लेकर बैंक पहुंचे थे। हस्ताक्षर नहीं मिलने की सूचना के बाद कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज कुमार केवट कुछ ही देर में कार्यालय अधीक्षक मानवेंद्र झा भी शाखा पहुंचे और एडवाइस को वापस ले गए। तब शाखा प्रबंधक का शक गहरा गया, जब अधीक्षक ने कहा कि पदाधिकारी घर जा चुके हैं। हालांकि प्रबंधक उस समय लगातार फोन पर उनसे संपर्क में थे और वे कार्यालय में ही मौजूद थे। वहीं जब सख्ती से पूछताछ किया गया तो लगभग 15 घंटे बाद कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज कुमार ने स्वीकार किया कि एडवाइस को फाड़ कर फेंक दिया है।

 

 

तब कल्याण पदाधिकारी ने 1 फरवरी 2025 से अब तक के खाते का पूरा विवरण बैंक से मंगाया। वहीं कार्यालय के तीन कर्मचारियों राकेश रंजन सोरेन, मो. तहसीन और मो. इर्तिका ने मिलान कर बताया कि कई एडवाइस के पत्रांक, तिथि और निर्गत पंजी आपस में मेल नहीं खा रहे। इससे करोड़ों की अवैध निकासी की पुष्टि हुई है।

कौन-कौन हैं जाँच के दायरे में

कार्यालय अधीक्षक मानवेंद्र झा, कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज कुमार, अनुसेवक अक्षय रविदास समेत 26 लोगों पर केस दर्ज कर जांच शुरू की गई है।

 

 

मामले का विवरण:

घोटाले की राशि: 12 करोड़ 38 लाख 600 रुपये की अवैध निकासी की गई है।

तरीका: कल्याण विभाग के कर्मियों ने एक साल से भी अधिक समय से फर्जी एडवाइस और पदाधिकारियों के जाली हस्ताक्षरों का उपयोग करके भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की मुख्य शाखा से पैसे निकाले।

खुलासा: इस मामले का खुलासा 8 दिसंबर 2025 को तब हुआ, जब एसबीआई के मुख्य प्रबंधक ने आईटीडीए (ITDA) निदेशक सह जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार एक्का को अनियमितताओं के बारे में सूचित किया।

संलिप्तता: जिला कल्याण पदाधिकारी ने बैंक कर्मियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया है, क्योंकि पूर्ववर्ती पदाधिकारी के हस्ताक्षर से निकासी उनके कार्यकाल में भी जारी रही, जबकि बैंक को पदाधिकारी के बदलने और हस्ताक्षर अपडेट होने की जानकारी थी।

FIR और कार्रवाई: जिला कल्याण पदाधिकारी की शिकायत पर नगर थाने में कांड संख्या 319/25 दर्ज किया गया है। पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और कई संदिग्ध खाताधारकों से भी पूछताछ कर रही है, जिनके खातों में पैसे हस्तांतरित हुए थे।

 

 

74 में से 7 एडवाइस मेल नहीं खाते

सनद रहे कि एफआईआर में यह भी उल्लेख है कि तत्कालीन कल्याण पदाधिकारी लक्ष्मण हरिजन के कार्यकाल में भी ऐसे फर्जी निकासी हुई हो सकती है, क्योंकि बैंक के 74 एडवाइस में से 7 एडवाइस उस अवधि के अभिलेखों से मेल नहीं खाते। ज्ञात हो कि अक्षय रविदास को 4 दिसंबर को ही डुमरचिर विद्यालय में विरमित किया गया था, इसके बावजूद 8 दिसंबर को वह कार्यालय का एडवाइस लेकर बैंक पहुंचा, जो बड़ी साजिश की ओर संकेत करता है।

 

ज्ञात रहे कि इससे पहले भी, पाकुड़ में करोड़ों रुपये के गबन के एक अन्य मामले में एसबीआई के पूर्व ब्रांच मैनेजर और असिस्टेंट क्लर्क को गिरफ्तार किया जा चुका है।