Varad Chaturthi 2023: वरद चतुर्थी व्रत से होती है सभी मनोकामनाएं पूरी
आज वरद चतुर्थी है, नवरात्रि में पड़ने वाली इस चतुर्थी का खास महत्व है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती है, तो आइए हम आपको वरद चतुर्थी की व्रत-विधि तथा कथा के बारे में बताते हैं।
जानें वरद चतुर्थी के बारे में
अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को वरद चतुर्थी कहा जाता है। नवरात्रि में पड़ ने वाली इस चतुर्थी का खास महत्व है। पंडितों के अनुसार वरद चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से कार्यों में किसी भी तरह की कोई रुकावट नहीं आती है। इसलिए गणपति महाराज को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है।
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वरद चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
आश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि की शुरूआत: आज, बुधवार, 01:26 सुबह से
आश्विन शुक्ल चतुर्थी तिथि की समाप्ति: कल, गुरुवार, 01:12 सुबह पर
गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: आज, सुबह 10:58 बजे से दोपहर 01:15 बजे तक
आज की वरद चतुर्थी 6 शुभ संयोग में है। आज रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, आयुष्मान योग बने हैं। सौभाग्य योग सुबह 08:19 से है. इन 5 शुभ योग के अलावा बुधवार का दिन है, जो गणेश पूजा के लिए समर्पित है। बुधवार को वरद चतुर्थी व्रत का सुंदर संयोग बना है।
वरद चतुर्थी पर करें ये उपाय
वरद चतुर्थी का दिन बहुत खास होता है। पंडितों के अनुसार अगर आप इस दिन गणेश जी को शतावरी चढ़ाते हैं तो इससे व्यक्ति की मानसिक शांति बनी रहती है। गेंदे के फूल की माला को घर के मुख्य द्वार पर बांधने से घर की शांति वापस आती है। साथ ही गणेश जी को अगर चौकोर चांदी का टुकड़ा चढ़ाया जाए तो घर में चल रहा संपत्ति को लेकर विवाह खत्म हो जाता है। किसी भी पढ़ाई में परेशानी हो तो आपको वरद चतुर्थी पर ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। वरद चतुर्थी के दिन गणेश जी को 5 इलायची और 5 लौंग चढ़ाए जाने से जीवन में प्रेम बना रहता है। वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह की परेशानी आ रही हो तो वरद चतुर्थी के दिन गणेश जी के किसी मंदिर में जाकर हरे रंग के वस्त्र चढ़ाएं।
आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए करें ये उपाय
वरद चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा लाल वस्त्र, लाल चंदन, गेंदे के फूल, अक्षत् आदि से करें। उनको दूर्वा की 17 गाठें चढ़ाएं, घी और गुड़ का भोग लगाएं। मनोकामना पूर्ति मंत्र ओम गं गणपतये नमो नम: मंत्र का जाप करें। गणेश अथर्वशीर्ष पढ़ें, गरीबों को दान दें, फिर घी और गुड़ गाय को खिलाएं। गणपति बप्पा के आशीर्वाद से आपके कष्ट और आर्थिक समस्याएं दूर होंगी।
सुख और सौभाग्य वृद्धि के लिए करें ये उपाय
वरद चतुर्थी पर सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए और उनका विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। ओम गण गौ गणपतये विघ्न विनाशिनये स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए। पूजा के बाद गणेश जी को अर्पित सिंदूर से स्वयं भी तिलक लगाएं।
जानें वरद व्रत की पौराणिक कथा
हिन्दू धर्म में वरद व्रत से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार माता पार्वती के मन में एक बार विचार आया कि उनका कोई पुत्र नहीं है। इस तरह एक दिन स्नान के समय अपने उबटन से उन्होंने एक बालक की मूर्ति बनाकर उसमें जीव भर दिया। उसके बाद वह एक कुंड में स्नान करने के लिए चली गयीं। उन्होंने जाने से पहले अपने पुत्र को आदेश दे दिया कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति को अंदर प्रवेश नहीं करने देना। बालक अपनी माता के आदेश का पालन करने के लिए कंदरा के द्वार पर पहरा देने लगता है। थोड़ी देर बाद जब भगवान शिव वहां पहुंचे तो बालक ने उन्हें रोक दिया। भगवान शिव बालक को समझाने का प्रयास करने लगे लेकिन वह नहीं माना। क्रोधित होकर भगवान शिव त्रिशूल से बालक का शीश धड़ से अलग कर दिया। उसके बाद माता पार्वती के कहने पर उन्होंने उस बालक को पुनः जीवित किया।
नवरात्रि में वरद चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी हिंदुओं के लिए अत्यधिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। माना जाता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान गणेश अपने भक्तों को ज्ञान, सफलता और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। भक्त कोई भी काम, परीक्षा, शादी या नया काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश का आशीर्वाद लेते हैं। गणेश जी और मां दुर्गा पंचदेवों में शामिल हैं। गणपति जी सर्वप्रथम पूजनीय देवता माने गए हैं। ऐसे में नवरात्रि के दौरान वरद चतुर्थी पर व्रत और पूजन करने से जातक की रोग, दोष, दुख, दरिद्रता दूर होती है। वरद चतुर्थी पर गणपति के सिद्धि वरद रूप की पूजा करने से बुद्धि, सिद्धि, ज्ञान और ऐश्वर्य का आशीष मिलता है।
वरद चतुर्थी के दिन ऐसे करें पूजा
वरद चतुर्थी का दिन बहुत खास होता है। इसलिए इस दिन सुबह उठ कर स्नान करें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं और भगवान गणेश को स्नान कराएं। इसके बाद भगवान गणेश को साफ वस्त्र पहनाएं। भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक भी लगाएं। गणेश भगवान को दुर्वा प्रिय होती है इसलिए दुर्वा अर्पित करनी चाहिए। गणेश जी को लड्डू, मोदक का भोग भी लगाएं इसके बाद गणेश जी की आरती करें।
– प्रज्ञा पाण्डेय