हमास क्या है? जानें दुनिया का कौन सा देश इसे मानते हैं आतंकी संगठन, इससे जुड़ी हर जानकारी

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गाजा पट्टी पर शासन करने वाले हमास ने शनिवार सुबह इसराइल के दक्षिण में हवा, भूमि और समुद्र से अचानक हमला कर दिया था। इसके बाद दोनों एक-दूसरे के क्षेत्र पर लगातार हमले कर रहे हैं। इसके बाद घमासान युद्ध की स्थिति बनी हुई है।

 

गाजा पट्टी पर इसराइली हमलों में कम से कम 370 फिलिस्तीनी मारे गए और 2,200 घायल हुए हैं। हमास के हमलों के चलते इसराइल में मृतकों की संख्या बढ़कर 600 हो गई है, 2000 से अधिक घायल हो गए हैं।

 

 

  • जानिए हमास क्या है ?

फिलिस्तीन क्षेत्र का सबसे बड़ा चरमपंथी संगठन है। हमास का हिन्दी में अर्थ उत्साह होता है। वैसे इसका पूरा नाम हरकत-अल-मुकावामाह अल इस्लामिया है। हमास की स्थापना 1987 में पहले फिलिस्तानी विद्रोह के दौरान हुई थी। इसकी स्थापना शेख अहमद यासीन ने की थी। इसका उभार मुस्लिम ब्रदरहुड की फिलिस्तानी शाखा के विस्तार के तौर पर हुआ। हमास एक सशस्त्र बल है और इसराइल का सशस्त्र विरोध करता है। यह चरमपंथी संगठन इसराइल की जगह फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है।  इसराइल के खिलाफ विद्रोह के लिए इसका गठन किया गया था। हमास ने 1988 में घोषणी की थी कि इसका स्थापना फिलिस्तीन को मुक्त कराने के लिए की गई है।

 

पीएलओ का सशस्त्र संघर्ष : हमास के गठन कारण यह भी है कि फिलिस्तीनियों के नेशनल मूवमेंट से इसराइल और बाकी दुनिया पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा था। फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) 1960 के दशक से इसराइल के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष कर रहा था, लेकिन फिलिस्तीनियों को निराशा ही हाथ लगी थी। पीएलओ दो मुद्दों पर इसराइल के सामने कुछ नरम भी पड़ गया था।

 

यासिर अराफात की शांति-सुलह : पीएलओ ने इसराइल को मान्यता दे दी और उसके वजूद को स्वीकार कर लिया। इस तरह उसने आजाद फिलिस्तीन का अपना लक्ष्य छोड़ दिया। दूसरी बात यह हुई कि उसने सशस्त्र संघर्ष से किनारा कर लिया। उसके सबसे बड़े नेता यासिर अराफात ने शांति और सुलह के जरिए फिलिस्तीनियों के अधिकार हासिल करने की राह चुन ली। निराशा और बदली हुई रणनीति की पृष्ठभूमि में हमास सामने आया। इसने सशस्त्र संघर्ष का नारा दिया।

 

ये देश मानते हैं आतंकी संगठन : अमेरिका, यूई, कनाडा, मिस्र और जापान जैसे देश हमास को एक आतंकवादी संगठन मानते हैं जबकि रूस, सीरिया, चीन और ईरान जैसे देश इसको आतंकी संगठन के तौर पर नहीं लेते। ईरान हमास का समर्थक है।

 

फिलिस्तीन की आजादी के लिए संघर्ष : अपनी स्थापना के अगले साल 1988 में हमास ने कहा कि हम फिलिस्तीन की आजादी के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि हमास की सशस्त्र विंग का गठन 1992 में हुआ। इसके बाद से हमास गाहे-बगाहे इसराइल पर आत्मघाती हमले करता रहता है। 2007 से हमास का फिलिस्तीन की गाजा पट्टी पर काबिज है। 2006 में हुए फिलिस्तीनी संसदीय चुनाव में हमास को भारी जीत मिली। इसके बाद उसका गाजा पट्टी पर शासन हो गया।

 

 

क्या है विवाद की जड़ : हमास इसराइल राज्य को मान्यता नहीं देता। हमास की सशस्त्र विंग को इज अल-दीन अल-कसम ब्रिगेड कहा जाता है। इसका काम इसराइल में आत्मघाती हमलावरों को भेजना है। हमास इसराइल पर अपने हमलों को बदला बताता है। हमास के लड़ाके इसराइल के खात्मे पर उतारू हैं। इसराइल इसको एक प्रपंच का नाम देता है।

 

 

 

अल अक्सा मस्जिद का विवाद : हमास का कहना है कि मई 2021 में इसराइल ने यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद, जो कि मक्का मदीना के बाद मुसलमानों के लिए दुनिया का तीसरा सबसे पवित्र स्थान है, को नुकसान पहुंचाया था।  इसराइल ने कई दशकों से गाजा पट्टी की घेराबंदी कर रखी है।

 

इसके कारण से वहां को लोगों को दवाई और अनाज जैसी आवश्यक वस्तुएं नहीं मिल पा रही हैं। हमास का कहना है कि इसराइल अपने हमलों में बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं पर भी बर्बरता करता है। हमास इनका बदला लेने के लिए इसराइल पर हमले करता है।

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