अयोध्या में रामनवमी पर मूर्ति पर पड़ेंगी सूर्य की किरणें

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  • प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को

अयोध्या में राम मंदिर के पहले चरण का कार्य दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाने का भरोसा जताते हुए मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा है कि श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा अगले वर्ष 22 जनवरी को होगी और 20 से 24 जनवरी के बीच किसी भी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इससे जुड़े समारोह में सम्मिलित होंगे। उन्होंने खुलासा किया कि मंदिर में हर वर्ष रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें श्रीराम की मूर्ति पर पड़ें, ऐसी व्यवस्था की जा रही है।

 

 

प्रधानमंत्री मोदी के प्रधान सचिव रहे मिश्रा ने ‘पीटीआई-वीडियो’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में राम मंदिर के निर्माण और इस दौरान आई चुनौतियों के साथ ही प्राण-प्रतिष्ठा समारोह तथा इसकी तैयारियों को लेकर विस्तार से बातचीत की।

 

 

इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि गर्भ गृह में दो मूर्तियां होंगी – एक चल और एक अचल… एक श्रीराम की बाल्यावस्था की और दूसरी रामलला की। भगवान 4 या 5 वर्ष की आयु के होंगे और मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच होगी।

 

 

उन्होंने कहा कि ऐसी योजना है कि रामनवमी के दिन 12 बजे भगवान के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ें। जो मूर्ति है उसकी दिशा इस प्रकार से है कि वहां पर सूर्य की किरणें सीधी नहीं पड़ रही हैं। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की और पुणे के एक एस्ट्रोनॉमिकल संस्थान ने मिलकर कम्प्यूटरीकृत कार्यक्रम बनाया है। इसमें एक छोटा सा उपकरण है जो कि मंदिर के शिखर में लगाया जाएगा। किरणें इस माध्यम से आएंगी और फिर परावर्तित होकर भगवान के ललाट पर पहुंचेंगी। यह उपकरण बेंगलुरु में बन रहा है और इसकी डिजाइन व देखरेख रुड़की और पुणे के संस्थान तथा वैज्ञानिक कर रहे हैं।

 

 

उन्होंने कहा कि रामनवमी के दिन यह कुछ ही सेकेंड के लिए होगा इसलिए हमें प्रयास करना है कि उस दिन वहां भारी संख्या में लोग ना पहुंच जाएं। यह एक बड़ी चुनौती होगी कि उस समय भगदड़ जैसे हालात ना हों और इस चुनौती से निपटने के लिए इस घटना को स्क्रीन पर, दूरदर्शन पर दिखा पाएं, इसका भी प्रयास किया जा रहा है।

 

 

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के समारोह में लगभग 10 हजार अति विशिष्ट आमंत्रित सदस्य होंगे, जिनमें राम मंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़े साधु-संत समाज के लोग और देश-विदेश व मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के जाने माने लोग शामिल होंगे। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद प्रतिदिन लगभग सवा लाख दर्शनार्थियों के अयोध्या पहुंचने का अनुमान है।

 

 

नवंबर 2019 में उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला देते हुए केंद्र सरकार को निर्देशित किया था कि वह तीन माह के भीतर मंदिर निर्माण के लिए एक न्यास की स्थापना करे। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 5 फरवरी 2020 को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की घोषणा की।

 

 

मिश्रा ने कहा कि मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी लेने के साथ ही मंदिर के भूतल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा कर लेने की योजना बनी थी और निश्चित ही यह कार्य तय समय में पूरा हो जाएगा। न्यास के फैसले के अनुसार, 14 जनवरी के बाद यानी मकर संक्रांति के बाद वहां प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित होगा और जो साधु-संत इस विद्या में निपुण हैं उन लोगों की राय से यह प्रारंभ किया जाएगा।

 

 

उन्होंने कहा, ऐसा सोचा गया है कि प्राण-प्रतिष्ठा का जो अंतिम दिन होगा… जिस दिन भगवान वहां पर एक तरीके से सभी के समक्ष सम्मुख होंगे, उस दिन पूजा का कार्यक्रम भी संपन्न हो। पूजा के कार्यक्रम में, जो एक तरीके से अंतिम अध्याय होगा, उसमें प्रधानमंत्री जी भी सम्मिलित हों।

 

 

मिश्रा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में कब शामिल होंगे, उसकी सूचना अभी प्रधानमंत्री कार्यालय से नहीं आई है। अंतिम कार्यक्रम उनका जब आएगा तो ट्रस्ट फिर उसकी घोषणा करेगा। लेकिन, यह अनुमान है कि यह 20 और 24 जनवरी के बीच में ही कोई तिथि होगी। क्योंकि प्रधानमंत्री उसके बाद गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में अति व्यस्त हो जाएंगे।’

 

 

एक सवाल के जवाब में मिश्रा ने बताया कि मंदिर निर्माण पर अब तक 900 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं और ऐसा अनुमान है कि पूरे मंदिर और परिसर के निर्माण में लगभग 1,700 से 1,800 करोड़ रुपए की लागत आयेगी।

(भाषा)

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