Adhik Maas Purnima 2023: अधिकमास पूर्णिमा के दिन दान से होता है लाभ
आज अधिकमास की पूर्णिमा व्रत है, हिन्दू धर्म में इस दिन पूजा का खास महत्व होता है, तो आइए हम आपको अधिकमास पूर्णिमा व्रत के महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें अधिकमास पूर्णिमा के बारे में
हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा तिथि पड़ती है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। 1 अगस्त को श्रावण अधिक मास का सुपरमून दिखाई देगा। इस दिन श्रावण अधिक पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का विशेष महत्व है। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन अधिकमास पूर्णिमा व्रत रखा जाता है। वर्ष 2023 में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 1 अगस्त को पड़ रही है। अधिक मास में आने के कारण इसे अधिकमास पूर्णिमा भी कहा जाएगा।
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अधिकमास की पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में सावन मास की पूर्णिमा विशेष महत्व रखती है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और सत्यनारायण व्रत रखा जाता है। पंडितों का मानना है कि ऐसा करने से विष्णु जी की कृपा हमेशा बनी रहती है। पूर्णिमा के विशेष दिन पर किए गए स्नान-दान और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
अधिकमास पूर्णिमा व्रत के दिन ऐसे करें पूजा
पंडितों के अनुसार इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस दौरान सूर्य देव के बीज मंत्र ॐ घृणिः सूर्याय नमः का जाप करें। इसके बाद एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें। इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रार्थना करते हुए सत्यनारायण व्रत करने का संकल्प लें।
शाम के समय पूजा करते समय अपने समक्ष पानी का कलश रखें। विष्णु जी को पत्ता, पंचामृत, केला और पंजीरी बनाकर अर्पित करें। इसके बाद विधि-विधान के साथ माता लक्ष्मी और श्री हरि की पूजा करें। संध्या काल में पंडित को बुलाकर सत्यनारायण की कथा श्रवण करनी चाहिए। पूजा के बाद परिवार और अन्य लोगों में प्रसाद बाटें। पूर्णिमा के दिन, दान अवश्य करना चाहिए।
अधिकमास की पूर्णिमा का है खास महत्व
अधिकमास की पूर्णिमा का यह व्रत सुख-सौभाग्य में वृद्धि करता है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति कर धन, संपत्ति, सुख, वैभव और ऐश्वर्य में वृद्धि करता है। यदि इस व्रत को कुंवारी कन्याएं करें तो उन्हें श्री हरि एवं मां लक्ष्मी की कृपा से सुयोग्य वर प्राप्त होता है और यदि युवक करें तो उन्हें सुशील पत्नी प्राप्त होती है। चंद्रमा का संबंध मन से होने के कारण भी यह व्रत मन की पवित्रता और चित्त की शांति के लिए किया जाता है। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है औरआध्यात्मिकता का विकास होता है। पूर्णिमा को स्नान अर्घ्य, तर्पण, जप-तप, पूजन, कीर्तन एवं दान-पुण्य करने से स्वयं भगवान विष्णु, प्राणियों को ब्रह्मघात और अन्य कृत्या-कृत्य पापों से मुक्त करके जीव को शुद्ध कर देते हैं। शास्त्रों में इस मास की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का पूजन कई गुना फलदायी होता है।
अधिकमास पूर्णिमा पर पुण्य प्राप्ति के लिए ये करें
परमेश्वर श्री नारायण द्वारा वरदान प्राप्त पुरुषोत्तम मास की अवधि के मध्य श्रीमद्भागवत का पाठ, कथा का श्रवण, श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, श्री राम रक्षास्तोत्र, पुरुष सूक्त का पाठ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो नारायणाय जैसे मंत्रों का जप करके मनुष्य श्रीविष्णु की कृपा का पात्र बनता है। इस मास में निष्काम भाव से किए गए जप-तप पूजा-पाठ, दान-पुण्य, अनुष्ठान आदि का महत्व सर्वाधिक रहता है। परमार्थ सेवा, असहाय लोगों की मदद करना, बुजुर्गों की सेवा करना, वृद्ध आश्रम में अन्न वस्त्र व दवाइयों का दान करना, विद्यार्थियों को पुस्तक का दान कथा संत महात्माओं को धार्मिक ग्रंथों का दान करना पुण्यकारी माना गया है। इस मास में किए गए जप-तप, दान पुण्य का लाभ जन्म जन्मांतर तक दान करने वाले के साथ रहता है। घर के मंदिर में रखे लड्डू-गोपाल तथा विष्णुजी के अन्य स्वरूप वाली मूर्तियों पर भी तुलसी मंजरी अवश्य अर्पित करनी चाहिए। यदि आप पूरे माह यह नहीं कर पाएं तो अधिक मास की पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य करके पुण्य का फल कई गुना प्राप्त कर सकते है।
सावन अधिकमास पूर्णिमा का शुभ योग
पंचांग के अनुसार हर तीन साल के बाद मलमास या अधिक मास लगता है, जिसमें साल के 12 नहीं बल्कि 13 माह होते हैं। इस बार 19 साल बाद ऐसा अद्भुत संयोग बना है, जिसमें अधिक मास सावन महीने में ही लगा है। पंचांग के अनुसार, सावन अधिमास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत मंगलवार 01 अगस्त सुबह 03:51 पर होगी और इसका समापन रात 12:01 पर होगा। इसलिए सावन अधिमास की पूर्णिमा का व्रत और पूजन 01 अगस्त को मान्य होगा। इसी दिन मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा। इस दिन प्रीति योग और आयुष्मान योग भी बनेंगे और उत्तराषाढ़ नक्षत्र रहेगा। इन शुभ योगों में किए पूजा-व्रत से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
सावन अधिकमास पूर्णिमा पर न करें ये गलतियां
पंडितों के अनुसार हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त में उठने की बात कही गई है। लेकिन कुछ लोग सुबह देर से उठते हैं। आप भले ही रोज देर उठते हों, लेकिन सावन पूर्णिमा के दिन जल्दी उठे और पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद भगवान शिव, विष्णुजी और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
पूर्णिमा के दिन सात्विक भोजन ही करें। इस दिन लहसुन-प्याज युक्त भोजन न करें। साथ ही इस दिन मांसाहार भोजन और नशे की चीजों से भी दूर रहें। सावन अधिक मास पूर्णिमा के दिन दान का महत्व है। इसलिए इस दिन घर आए किसी भी गरीब या जरूरतमंद को खाली हाथ न लौटाएं। इस दिन दिए दान का कई गुणा फल मिलता है।इस दिन ऐसा कोई काम न करें जिससे किसी को हानि हो या दुख पहुंचे। इसलिए इस दिन वाणी पर नियंत्रण रखें।
– प्रज्ञा पाण्डेय