हाईकोर्ट का बंगाल पंचायत चुनाव पर कड़े निर्देश, SEC को लगाई फटकार

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  • 82000 से ज्‍यादा केंद्रीय बलों की तैनाती के निर्देश

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को पंचायत चुनावों में तैनाती के लिए 24 घंटे के भीतर 82000 से अधिक केंद्रीय बलों की मांग करने का बुधवार को निर्देश दिया।

 

मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति उदय कुमार की एक खंडपीठ ने एक अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को भी फटकार लगाई और कहा कि अगर उनके लिए आदेश का पालन करना मुश्किल है, तो वह पद छोड़ सकते हैं। राज्य के पूर्व मुख्य सचिव राजीव सिन्हा फिलहाल राज्य चुनाव आयुक्त हैं।

 

अदालत ने कहा कि आठ जुलाई को प्रस्तावित पंचायत चुनावों के लिए एसईसी ने केंद्रीय बलों की सिर्फ 22 कंपनियों की मांग की है, जो राज्य में 2013 के पंचायत चुनावों के दौरान लगाए गए 82000 केंद्रीय पुलिसकर्मियों का एक छोटा अंश है।

 

 

याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि एक कंपनी में 80 कर्मी होते हैं, इस प्रकार मांगे गए कर्मियों की कुल संख्या लगभग 1700 है, जिसे अदालत ने पूरी तरह से अपर्याप्त करार दिया। अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि 2013 में पश्चिम बंगाल में जिलों की संख्या 17 थी, जो बढ़कर वर्तमान में 22 हो गई है, और इन 10 वर्षों में मतदाताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है। अदालत ने एसईसी को निर्देश दिया कि वह 24 घंटे में 82,000 से अधिक केंद्रीय बलों की मांग करे।

 

 

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, अगर (चुनाव) आयुक्त के लिए आदेश पर अमल करना बहुत मुश्किल है, तो वह पद छोड़ सकते हैं। संभवत: महामहिम राज्यपाल उनकी जगह किसी और को नियुक्त कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि एसईसी तटस्थ निकाय है और इसे किसी के इशारे पर चलने की जरूरत नहीं है।

 

 

पीठ ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि बुधवार को भी सुनवाई के दौरान एसईसी का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अदालत में मौजूद नहीं था। खिन्न दिख रहे मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि एसईसी इतना व्यस्त है कि वह अपने वरिष्ठ वकीलों को निर्देश नहीं दे सकता तो बेहतर होगा कि वे कार्यालय बंद कर दें।

 

अदालत ने निर्देश दिया कि केंद्रीय बलों की जितनी कंपनियों की मांग की जानी है, उनकी संख्या 2013 के चुनावों से अधिक होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि आदेश को अव्यवहार्य बनाने के किसी भी प्रयास के प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं।

 

एसईसी के वकील ने दलील दी कि अदालत को जो भी पर्याप्त लगता है, उसकी मांग तुरंत केंद्र सरकार से की जाएगी। एसईसी के वकील ने कहा कि उन्हें निर्देश दिया गया है कि केंद्रीय बलों के संबंध में अदालत को जो भी पर्याप्त लगेगा, उसके लिए निर्देश तुरंत केंद्र को भेजे जाएंगे। अवमानना याचिका में पंचायत चुनावों के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में अदालत के आदेशों की जानबूझकर अवहेलना करने का आरोप लगाया गया था।

 

उच्च न्यायालय ने 13 जून को एसईसी को संवेदनशील माने जाने वाले जिलों में तैनाती के लिए केंद्रीय बलों की मांग करने और स्थिति का आकलन करने तथा अन्य जिलों में तदनुसार तैनात करने का निर्देश दिया था। अदालत ने पिछले आदेश के अनुपालन में देरी पर नाराजगी जताते हुए 15 जून को सभी जिलों में केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश दिया था।

 

एसईसी और राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं। अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि आदेश और निर्देश का अक्षरश: पालन नहीं किया गया है।

(भाषा)

आकाश भगत

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