Darsh Amavasya 2023: दर्श अमावस्या पर स्नान-दान का है विशेष महत्व
आज दर्श अमावस्या है, हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या को खास महत्व दिया है, तो आइए हम आपको दर्श अमावस्या व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
जानें दर्श अमावस्या के बारे में
आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को दर्श अमावस्या, भूतड़ी अमावस्या जैसे नामों से जाना जाता है। पंडितों का मानना है कि इस अमावस्या के दिन भूत-प्रेत की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कुछ ज्योतिष संबंधी उपाय करना शुभ होगा। इसके साथ ही इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। इस दिन चंद्र देव की विशेष उपासना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा मन का कारक ग्रह जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत और पूजन करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन लोग गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं।
दर्श अमावस्या का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ अमावस्या तिथि की शुरुआत 17 जून सुबह 9.11 बजे से हो रही है और यह तिथि 18 जून सुबह 10.06 बजे तक रहेगी। इसलिए दर्श अमावस्या 17 जून शनिवार को मानी जाएगी, जबकि तिथि की आषाढ़ अमावस्या 18 जून को उदयातिथि में होगी और इसका दान पुण्य भी 18 जून रविवार को होगा।
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दर्श अमावस्या का महत्व
अमावस्या या अमावसी को उस दिन के रूप में माना जाता है जब चंद आकाश में दिखाई नहीं देता है। हम यह भी कह सकते हैं कि हिंदू परंपरा में चंद्र कैलेंडर के अनुसार अमावस्या की रात चांद नहीं दिखता है। पंडितों का मानना है कि अमावस्या की रात्रि को यात्रा न करें क्योंकि उस दिन चांदनी नहीं होती है और इस कारण यह खतरे को आमंत्रित करती है। इस दिन ज्योतिषी लोगों को कोई भी शुभ कार्य करने की सलाह नहीं देते हैं, क्योंकि हिंदू ज्योतिष में चंद्रमा और महत्वपूर्ण ग्रह दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए इस दिन कोई नया उद्यम या महत्वपूर्ण समारोह आयोजित नहीं करना चाहिए। विभिन्न अमावस्या को पृथक राज्यों में अलग-अलग नामों से भी पुकारा जाता है। जैसे माघ महीने को ‘मौनी अमावस्या’ कहा जाता है और आश्विन महीने में इसे ‘महाकाल अमावस्या’ कहा जाता है। तमिलनाडु में आदि महीने में अमावसी का अत्यधिक महत्व है। जबकि केरल में कार्किदकम महीने की अमावस्या का अधिक महत्व है।
दर्श अमावस्या पर ऐसे करते हैं अनुष्ठान
पंडितों के अनुसार चंद्रदेव को सबसे महत्वपूर्ण नवग्रह माना जाता है। उन्हें भावनाओं के स्वामी और पौधे और पशु जीवन के पोषण के रूप में जाना जाता है। इस शुभ दिन पर चंद्र देव की पूजा करने वाले लोग अपने जीवन में सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। यह जीवन में मुसीबतों को कम करता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक संवेदनशीलता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। यह दिन ज्ञान, पवित्रता और नेक इरादों से जुड़ा है। पूर्वजों (संस्कृत में पितृ के नाम से जाना जाता है) की पूजा करना का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। मोक्ष (जीवन और मृत्यु के चक्र को पूरा करने) को प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की पूजा इस दिन की जाती है साथ ही साथ एक अच्छे भाग्य की इच्छा पूरी होती है। दर्शन अमावस्या पर व्रत अमावस्या की तिथि सुबह से शुरू होती है और अगले दिन चन्द्र दर्शन के बाद चन्द्रमा के दर्शन के बाद ही समाप्त होती है। इस दिन पूर्वजों के लिए किए गए श्राद्ध, पापों और पितृ दोष को दूर करते हैं और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और खुशी के लिए पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मोक्ष को प्राप्त करने के लिए भी कई महत्वपूर्ण पूजा जाती है।
दर्श अमावस्या पर इन कामों से होगा नुकसान
पंडितों के अनुसार अमावस्या को अशुभ माना जाता है इसलिये इस समय पर किसी भी प्रकार शुभ कार्य नहीं करना चाहिये। भोग विलास की वस्तुओं से दूर रहें। घर को गंदा ना रखें क्योंकि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा बढती है। स्वयं को अंधेरे स्थान से दूर रखें।
दर्श अमावस्या के दिन करें उपाय
इस दिन कुछ आसान उपायों से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
1. खुशहाली के लिएः इस दिन पितृ को प्रसन्न रखने के लिए सुबह स्नान कर तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, पंचबलि कर्म, ब्राह्मण भोज, खीर दान करना चाहिए, पितृ के लिए दीपक जलाना चाहिए, इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और खुशहाली आती है।
2. भाग्योदय के लिएः चंद्रमा जिन जातकों की कुंडली में कमजोर होता है, उन्हें दर्श अमावस्या का व्रत रखना चाहिए और चंद्रदेव की पूजा करनी चाहिए। इससे उनका भाग्योदय होगा और उसके जीवन में धन आगमन का बाधित रास्ता खुलेगा।
3. खराब काम न करें: अमावस्या के दिन प्रेत आत्माएं और नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं। इसीलिए इस दिन खराब काम से दूर रहना चाहिए और पूजा-पाठ करना चाहिए।
दर्श अमावस्या पर इनसे होगा लाभ
दर्श अमावस्या का दिन बहुत खास होता है इसलिए ईश्वर का ध्यान करें। घर को साफ और स्वच्छ रखें। उपवास रखे और मन को स्वच्छ रखें। इस मंत्र का उच्चारण भी करें। ॐ सों सोमाय नम:, नमः शिवाय।
– प्रज्ञा पाण्डेय