यूपी : साइकल हो गया पंचर और हाथी हो गया पस्त
- मेयर की सभी 17 सीटों पर BJP का कब्जा
उत्तरप्रदेश निकाय चुनावों में इस बार भाजपा (BJP) ने अभूतपूर्व सफलता हासिल कर विरोधी दलों को चारों खाने चित कर दिया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रदेश के 17 नगर निगमों में सभी मेयर भाजपा के निर्वाचित किए गए हैं। इसके अलावा 200 नगर निकायों में से जिन 199 निकायों में चुनाव हुए उनमें से भी भाजपा का प्रदर्शन सबसे शानदार है।
पिछली बार की तुलना में इस बार विजयी प्रत्याशियों की संख्या दोगुनी से अधिक है। 199 सीटों में से बीजेपी पार्टी के पक्ष में 99 सीट गए हैं। बाकी 100 सीटों में सपा बसपा कांग्रेस और अन्य के खाते में गए हैं।
इसी के साथ भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने विधानसभा के दोनों उपचुनाव भी जीत लिए हैं, जिनमें रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट भी है जहां से आजम खां के साहबजादे पिछली बार भारी मतों से जीते थे। इस बार स्वार सीट पर मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा था।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह कार्यकर्ताओं की मेहनत, सरकार और संगठन के बेहतर तालमेल से निकाय चुनाव में बीजेपी ने अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने इसे सुशासन की जीत बताया है।
भाजपा के कार्यकर्ता इसे योगी के अपराधियों के खिलाफ चले बुलडोजर से खुश जनता का विश्वास बता रहे हैं। निकाय चुनावों में यह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मिली अब तक की सबसे करारी हार है।
हालांकि विपक्षी नेता इसे सरकार द्वारा हाइजैक किए गए सिस्टम से मिली जीत कहेंगे लेकिन सच्चाई यह है कि यह भाजपा के मजबूत संगठन की भी जीत है जो पन्ना प्रमुख तक फैला है। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि समाजवादी पार्टी और बसपा ने अपने कोर वोटर का विश्वास खो दिया है।
इसका उदाहरण मेरठ के मेयर की सीट है जहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम प्रत्याशी मोहम्मद अनस को 1 लाख से ज्यादा वोट मिले और उसने सपा और बसपा को हाशिए पर डाल दिया। मेरठ नगर निगम में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के कई पार्षद भी जीते हैं जबकि कुछ ऐसे भी हैं जिनकी हार दो अंकों या उससे भी कम वोटों से हुई है।
असदुद्दीन ओवैसी पार्टी के प्रत्याशियों को उत्तरप्रदेश में मिले अच्छे खासे मतों की वजह सपा और बसपा के मुस्लिम मतदाताओं का दोनों पार्टी के नेताओं से मोह भंग हो जाना है।
बातचीत वे अनेक मुस्लिम मतदाताओं ने बातचीत में खुले तौर पर कहा कि अखिलेश और मायावती ने कभी भी हमारा संकट में साथ नहीं दिया और हमारे साथ हो रहे दुर्भावनापूर्ण व्यवहार पर ये चुपचाप बैठे रहे। इसका मतलब साफ है कि अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों की राजनीति करने वाले इन दोनो दलों ने उनके हितों की अनदेखी की। लोग आरोप तो इससे बड़े बड़े लगाते हैं लेकिन हम उन्हें यहां लिख नहीं सकते।
उत्तरप्रदेश में 17 नगर निगम में भाजपा के मेयर की जीत से साइकिल को पंचर हुई तो वही हाथी की चिंघाड़ दूर-दूर तक सुनाई नही दी है। यूपी के सभी 17 नगर निगमों में 5 साल के लिए ट्रिपल इंजन की सरकार बन गई है, ये तीसरे इंजन वाले जिले हैं आगरा, अलीगढ़, शाहजहांपुर, वाराणसी, सहारनपुर, अयोध्या, बरेली, फिरोजाबाद, प्रयागराज, मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद, झांसी, गोरखपुर, लखनऊ, कानपुर, मथुरा-वृंदावन है।
ऐसे में एक साल बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का संदेश साफ है कि वे अब इन दलों पर विश्वास और समर्थन नहीं कर रहे हैं। हालांकि खुले तौर पर मुस्लिम यह मानते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी के सहारे वह सत्ता में नगण्य भागीदारी ही हासिल कर सकते हैं लेकिन एआईएमआईएम को वोट देना एक संकेत भर है।