मजेदार इतिहास है हरी मिर्च का भी, जानें भारत में कैसे आई थी हरी मिर्च?
हरी मिर्ची सूखने के बाद लाल होती है। कच्ची या हरी मिर्च खाने के कई फायदे हैं। इसका उपयोग दाल और सब्जी में किया जाता है। लाल मिर्च तड़का लगाने के लिए और इसको पीसकर इसका उपयोग मसालों के तौर पर करने के लिए होता है। हरी मिर्च को भी पीसकर इसका उपयोग किया जा सकता है।
आओ जानते हैं हरी मिर्च के स्वाद और इतिहास के बारे में
हरी मिर्च का स्वाद : हरी मिर्च का स्वाद 2-4 तरह का होता है। बहुत तीखा, कम तीखा और बिल्कुल भी तीखा नहीं। हरी मिर्च का कुछ का स्वाद मीठा, खट्टा, कड़वा और तीखा होता है लेकिन किसी भी प्रकार की मिर्ची का स्वाद उसकी पुन्जेंसी जिसको स्पाइसी हीट बोला जाता है उसपर निर्भर करता है। स्पाइसी हीट कैप्साइकन के कारण ज्यादा या कम होती है। कैप्साइकन पौधों में पाया जाने वाला एक कॉम्पोनेन्ट होता है।
हरी मिर्च के लाभ : मिर्च स्वाद में तीखी जरूर है लेकिन गुणों में यह बहुत मीठी है। मिर्च में विटामिन सी का स्रोत है। इसके सेवन से बीमार प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। यह नेत्र, त्वचा, डायबिटीज, पेट के कीड़े, बुरे बैक्टीरिया, सूजन, जोड़ा का दर्द आदि में लाभदायक है। हरी मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट का एक अच्छा माध्यम है। हरी मिर्च को मूड बूस्टर के रूप में भी जाना जाता है।
हरी मिर्च का इतिहास : इतिहासकारों में इसको लेकर मतभेद है। हालांकि यह कहते हैं कि हरी मिर्च का जन्म 7 हजार ईसा पूर्व मैक्सिको में हुआ था। जब इटैलियन समुद्री नाविक भारत का रास्ता खोजते हुए अमेरिका पहुंच गए तो यह मिर्च वहां चली गई और जब पर्तगाली भारत आए तो अपने साथ हरी मिर्च भी लेकर आए। लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मिर्च का जन्म भारत में ही हुआ था। इसके कई प्राचीन प्रमाण मौजूद है। पुर्तगालियों के आने के पहले क्या भारत के लोग मिर्च नहीं खाते थे? यह सोचने वाली बात है। भारतीय पाक शास्त्र और वैदिक ग्रंथों में मिर्च का उल्लेख मिलता है। भारतीय पाक कला 8000 साल पहले का इतिहास बताता है, जिसमें सभी तरह के व्यंजनों का उल्लेख मिलता है।
मिर्च को हिन्दी में मिर्च, बंगाली व उड़िया में लंका या लंकामोरिच, गुजराती में मार्च व मलयालम में मुलाकू ऐसे ही नहीं कहते हैं। दुनिया की सबसे तीखी मिर्च असम में उगाई जाती है जिसे भूत झोलकिया कहते हैं। इसे नागा झोलकिया, नागा मोरिच और घोस्ट चिली भी कहा जाता है।