जानें नवरात्रि के दूसरे दिन की महिमा और पूजा-विधि

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आज शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का है। इस दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना अति शुभ माना जाता है। नवरात्रि का दूसरा दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। शास्त्रों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं। माँ दुर्गा के इस रूप में उनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल हैं। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। देवी ब्रह्माचारिणी की पूजा- अर्चना करने से संयम,तप, त्याग, ज्ञान और सर्वसिद्धि की प्राप्त होती हैं। इसके साथ ही माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन में आने वाली सभी कठिन परिस्थितियां भी आसान हो जाती है। जानते है माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-विधि के बारे में जिससे कि माँ का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
 
ब्रह्मचारिणी नाम का क्या है अर्थ ?
देवी ब्रह्मचारिणी के नाम में ब्रह्म का अर्थ है यानि कि तपस्या और आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। देवी ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए कठोर तप किया था जिस कारण माँ को तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी का नाम दिया गया।

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कैसे करें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना ?
1. शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान पीले या सफेग रंग के वस्त्र पहनें, ऐसा करना काफी शुभ माना जाता है। 
2. सबसे पहले माँ दुर्गा को पंचामृत से स्नान कराएं और इसके बाद देवी को अक्षत, रोली, चंदन, लौंग, इलायची, मिश्री आदि अर्पित करें।
3. मां ब्रह्मचारिणी को कमल और गुड़हल का फूल बेहद प्रिय है। संभव हो तो ये फूल माता को जरूर अर्पित करें।
4. इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग की वस्तुएं अर्पित करें।
5. पूजा के दौरान देवी ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री का भोग लगाना चाहिए क्योंकि माँ को यह भोग अत्यंत प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन भी जरूर अर्पित करें।
6. पूजा के दौरान माँ के सामने घी का दीपक जलाएं और मां ब्रह्मचारिणी की श्रद्धापूर्वक आरती करें।
 
– रौनक 

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