पहली बार कैमरे में कैद हुई ‘Milky Sea’ की तस्वीर, इस वजह से चमकने लगता है समुद्र का पानी

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पूर्वी हिंद महासागर में ‘गणेशा’ नाम की नौका के चालाक दल ने दुनिया में सबसे दुर्लभ और आश्चर्यजनक स्थलों में से एक को देखा। समुद्र के पानी को चमकता हुआ देखकर दल को पहले तो लगा कि ये एक भ्रम है। उन्होंने इस दृश्य की तस्वीर ली और लौटने पर वैज्ञानिकों के साथ साझा की। तस्वीरों को देखकर वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि नाविकों के समूह ने ‘Milky Sea’ या दूधिया समुद्र नामक घटना के सबूत दिए हैं।

 

इसके पहले ‘मिल्की सी’ को केवल किताबों में ही पढ़ा गया था। पहली बार कोई तस्वीर सामने आई है, जिसमें समुद्र के पानी को रात के अंधेरे में भी चमकता हुआ देखा जा सकता है। आइए जानते हैं कि समुद्र के पानी के ऐसे चमकने का कारण क्या है? ये एक सच है या मिथक?

 

 

‘मिल्की सी’ की घटना को पहली बार 1830 के दशक में विख्यात वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने अपने पत्र में लिखा था। दक्षिण अमेरिका   की यात्रा के दौरान डार्विन ने  ‘मिल्की सी’ को अपनी आंखों से देखा और अपनी पुस्तक ‘द वॉयज ऑफ द बीगल’ में इसका उल्लेख किया। इसके कई वर्षों बाद अमेरिका की ओर से शोध के लिए भेजे गए एक जहाज, यूएसएस विल्क्स के साथ गए एक वैज्ञानिक ने भी मिल्की सी को देखा और पानी का एक सैंपल एकत्र किया।

 

 

 

 

कई महीनों की रिसर्च के बाद ये पता चला कि मिल्की सी का ये जादू वासतव में एक तरह के बायोल्यूमिनसेंट बैक्टीरिया ‘Aliivibrio (Vibrio) harveyi’ के एक जगह पर भारी मात्रा में इकठ्ठा होने की वजह से बना है। अलीविब्रियो (विब्रियो) हार्वे बैक्टीरिया के कण जब भारी मात्रा में समुद्र में तैरते हुए एक दूसरे के संपर्क में आते हैं, तब समुद्र की सतह पर एक चमकती हुई नीली परत दिखाई देती है। ये बैक्टीरिया प्रकृति के जिस भी प्राणी या प्राकृतिक संसाधन में पाया जाता है, वह चमकने लग जाता है।

 

समद्र में बायोल्यूमिनसेंट बैक्टीरिया कई प्राणियों में पाए जाते हैं जैसे ईश, ट्यूनिकेट्स, क्रस्टेशियंस, मोलस्क और जेलिफिश आदि।

आकाश भगत

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