चुनाव खत्म होते ही चाचा-भतीजे में फिर ठन गई?
- पार्टी में तकरार की खबरों के बीच अखिलेश ने संभाली नेता प्रतिपक्ष की कमान
समाजवादी पार्टी के खेमे में हार के बाद ही हड़कंप मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी के विधायक दल की बैठक बुलाई गई। लेकिन सपा विधायक दल की बैठक में शिवपाल यादव को नहीं बुलाया गया है। जिसके बाद से ही एक बार फिर चाचा-भजीते में तकरार की खबरें सामने आने लगी हैं।
तमाम अटकलों के बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस बार खुद ही विपक्ष के खेमे की कमना अपने हाथों में ले ली है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को सपा विधायक दल का नेता और विपक्ष का नेता चुना गया है। अखिलेश यादव अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहेंगे। अखिलेश यादव को नेता विधानमंडल दल का प्रस्ताव वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा ने किया।
- सांसद पद से दिया था त्यागपत्र
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान पहली बार अखिलेश यादव मैनपुरी के करहल सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। करहल को समाजवादी पार्टी की सबसे सेफ सीट माना जाता है। अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद भी थे और उन्होंने अपनी विधायकी के लिए लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी हुआ करते थे लेकिन इस बार के चुनाव में वो जीत दर्ज करने में सफल नहीं हो पाए।
- शिवपाल को नहीं बुलाया गया
शिवपाल इस मीटिंग में शामिल होने के लिए इटावा से लखनऊ आ गए थे। लेकिन उन्हें कोई फोन ही नहीं आया। शिवपाल इससे बेहद नाराज बताए जा रहे हैं। शिवपाल यादव ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए इस बात को खुद स्वीकार्य किया। उन्होंने कहा कि सभी विधायकों को पार्टी कार्यालय से फोन किया गया लेकिन उन्हें कोई कॉल नहीं आया। इसके साथ ही आगे के कदम के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी जल्द ही वो देंगे।