कैसा रहा है भारत-यूक्रेन का रिश्ता, आज भारत से मांग रहा है मदद, कभी परमाणु परीक्षणों का UNSC में किया था विरोध

पूर्वी यूरोप में लंबे तनाव के बाद रूस और यूक्रेन के बीच शुरू  हुई जंग को 24 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। रूस ने आसमान और जमीन दोनों तरफ से यूक्रेन पर हमला किया। अमेरिका के मुताबिक रूस ने यूक्रेन पर 160 मिसाइलें दागी हैं। वहीं रूस ने कहा कि पहले दिन यूक्रेन पर 203 हमले किए गए। रूस ने यूक्रेन की राजधानी किव में भी चढ़ाई शुरू कर दी है। वहीं अमेरिका सेना भेजने की बात से इनकार कर दिया है। इन सब के बीच एक शख्स ऐसे भी हैं जिनके ऊपर दुनिया कि निगाहें टिकी हैं। भारत के प्रधानमंत्री मोदी के स्टैंड को लेकर अमेरिका हो या रूस सभी की नजरें बनी हैं। भारत ने फिलहाल न्यूट्रल रूख अपनाते हुए शांति से मसले सुलझाने की बात कही है। वहीं पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर लंबी बातचीत की है। पीएम मोदी ने मामले को उन्होंने पुतिन से कहा कि रूस और नेटो समूह के बीच मतभेदों को केवल बातचीत के जरिए ही हल किया जा सकता है। लेकिन सबसे अहम बात है कि यूक्रेन एक तरफ जहां यूक्रेन के राष्ट्रपति ने वोलोदिमिर जेलेंस्की कह रहे  हैं कि उन्हें रूस से लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है। वहीं वो भारत से रूस के साथ अच्छे और पुराने संबंधों के हवाले से शांति के लिए बातचीत करने का उनुरोध भी किया। 

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भारत यूक्रेन संबंध

बता दें कि जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था तो यूक्रेन उन देशों में से एक था जिसवे 1998 में भारत के परमाणु परीक्षमों का कड़ा विरोध किया था। इसके साथ ही यूक्रेन ने 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद सुरक्षा परिषद में भारत के कदम की निंदा की थी। गौरतलब है कि साल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के नाम से पाँच परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। उस दौरान यूक्रेन 25 अन्य देशों के साथ भारत के परमाणु परीक्षणों की कड़ी निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1172 के पक्ष में मतदान किया था। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पारित किए गए इस प्रस्ताव में माग की गई थी भारत अपने परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाए और एनपीटी और सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करे। इसके अलावा प्रस्ताव में भारत से परमाणु कार्यक्रमों को रोकने, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास और उत्पादन पर भी रोक लगाने को कहा गया था। इन सब में यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र का साथ दिया था। 

 

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