फ्लैशबैक: 20 साल पुराना गोधरा कांड, ट्रेन के अंदर जिंदा जलाए गए लोगों के नाम पहली बार आए सामने

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27 फरवरी, 2002 भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है, जिसने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को आग लगा दी थी। इस घटना के बाद पूरा गुजरात सुलग उठा औऱ सांप्रदायिक दंगे फैल गए। जिसमें 1200 से भी ज्यादा लोगों ने जान गंवाई। इस साल इस त्रासदी के 20 बरस हो रहे हैं। जब गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन को आग लगा दी गई थी। जिसमें 59 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। लेकिन अक्सर  गुजरात दंगों की बात गोधरा कांड पर आकर रुक जाती है यह दलील दी जाती है कि गुजरात दंगे, गोधरा कांड में किए क्रिया की प्रतिक्रिया थी। क्या हम नरसंहार को याद करते हैं? हाँ, हमें गुजरात में मुसलमानों की हत्या याद है; और हाँ, हमें लगातार एक मुस्लिम ‘नरसंहार’ की याद दिलाई जाती है जो गुजरात में तब हुआ जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बावजूद जहां मोदी आरोपी हैं। 

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आज, जब हम 2002 की हिंसा को देखते हैं, तो गोधरा खुद को केवल फुटनोट तक ही सीमित पाता है। बिलकिस बानो कांड का व्यापक प्रचार हुआ, जो निस्संदेह भयानक था, लेकिन ट्रेन में 20 बच्चों और 27 महिलाओं को जिंदा जलाए जाने पर चुप्पी उतनी ही घिनौनी थी। मुद्दा यह है कि हमें गोधरा में जिंदा जलाए गए 58 लोगों की परवाह क्यों नहीं है। हम उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं जैसे वे कहीं हैं ही नहीं?
हमारे देश के मीडिया का एक बड़ा तबका आज खुद को बहुत ही जागरूक, निष्पक्ष और जिम्मेदार मानता है। लेकिन अफसोस की बात ये है कि इस तारीख में छुपी तकलीफ को दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाने का समय शायद किसी भी न्यूज़ चैनल या अखबार को पिछले 20 वर्षों में नहीं मिला। इंटरनेट पर उन पीड़ितों से जुड़ा एक भी नाम नहीं है। किसी भी मीडिया आउटलेट ने उनके नाम का पता लगाने और उन्हें प्रकाशित करने की कोशिश तक नहीं की। 

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क्या हुआ था 27 फरवरी को 
27 फरवरी 2002 को आधुनिक भारत के इतिहास का काला अध्याय लिखा गया था। इस दिन हमारे स्वतंत्र धर्मनिरपेक्ष देश में सुबह 7:43 पर गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 23 पुरुष और 15 महिलाओं और 20 बच्चों सहित 58 लोग साबरमती एक्सप्रेस के कोच नंबर S6 में जिंदा जला दिए गए थे। उन लोगों को बचाने की कोशिश करने वाला एक व्यक्ति भी 2 दिनों के बाद मौत की नींद सो गया था। गुजरात पुलिस के सहायक महानिदेशक जे महापात्रा ने कहा था कि दंगाइयों ने ट्रेन के गोधरा पहुंचने से बहुत पहले से इस्तेमाल के लिए पेट्रोल से लैस तैयार कर ली थी। 

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इसके बाद, राज्य ने पूरे राज्य में हिंसा देखी। लेकिन जब भी इस घटना की कोई मीडिया रिपोर्टिंग होती है तो ऐसा लगता है कि पहले, राज्यव्यापी हिंसा सिर्फ एक ही समुदाय विशेष की तरफ से हुई थी और इसमें केवल मुसलमान ही पीड़ित थे। लेकिन ये पूरी तरह से असत्य है। क्योंकि 2002 में गोधरा की आग के कारण गुजरात जल गया थाऔर तथाकथित नरसंहार के शिकार लोगों में से एक चौथाई हिंदू थे। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि ट्रेन आपदा के पीड़ितों की पहचान मीडिया द्वारा कभी सार्वजनिक क्यों नहीं की गई। क्या ऐसा इसलिए था क्योंकि इसके बाद के परिणाम को मुस्लिम ‘नरसंहार’ के रूप में चित्रित करने का एक ठोस प्रयास किया गया था! 
अंग्रेजी अखबार फर्स्ट पोस्ट ने इसको लेकर ट्रेन में मारे गए लोगों के 41 लोगों के नाम प्रकाशित किए हैं। इसके साथ ही अन्य 17 पहचानों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। 
27 फरवरी, 2002 को एस-6, साबरमती एक्सप्रेस के शिकार लोगों के नाम:
1. नीलिमाबेन प्रकाशभाई चौडागर, रमोल, अमदावाडी
2. ज्योतिबेन भरतभाई पांचाल, मणिनगर, अमदावादी
3. प्रेमाबेन नारनभाई डाभी, गीता मंदिर, अमदावड़ी
4. जिविबेन परमभाई दाभी, गीता मंदिर, अमदावड़ी
5. देवकलाबेन हरिप्रसाद जोशी, चंदलोडिया, अमदवद
6. झवेरभाई जादवभाई प्रजापति, वस्त्रल अमदावादी
7. मित्तलबेन भरतभाई प्रजापति, मणिनगर, अमदावाडी
8. निताबेन हर्षदभाई पांचाल, न्यू रानिप, अमदावादी
9. हर्षदभाई हरगोविंदभाई पांचाल, न्यू रानिप, अमदावद
10. प्रतीक्षाबेन हर्षदभाई पांचाल, न्यू रानिप, अमदावादी
11. निरुबेन नवीनचंद्र ब्रह्मभट्ट, संकेत सोसाइटी, वडनगर
12. छायाबेन हर्षदभाई पांचाल, न्यू रानिप, अमदावादी
13. चिरागभाई ईश्वरभाई पटेल, वाघोड़िया, वडोदरा
14. सुधाबेन गिरीशचंद्र रावल, चांदलोदिया, अमदावादी
15. मालाबेन शरदभाई म्हात्रे, अंबावादी, अमदावादी
16. अरविंदाबेन कांतिलाल शुक्ल, रमोल, अमदावादी
17. उमाकांत गोविंदभाई मकवाना, नवा नरोदा, अमदावादी
18. सदाशिव विट्ठलभाई जाधव, सुरेलिया एस्टेट रोड, अमदावाडी
19. मणिबेन दहयाभाई दवे, नवा नरोदा, अमदावादी
20. जेसलकुमार मनसुखभाई सोनी, वस्त्रल, अमदावादी
21. मनसुखभाई कांजीभाई सोनी, वस्त्रल, अमदावड़ी
22. रतिबेन शिवपति प्रसाद, नगर निगम क्वार्टर, विजय मिल, नरोदा, अमदावाडी
23. जमनाप्रशाद रामाश्रय तिवारी, विजय मिल, नरोदा, अमदावाडी
24.सतीश रमनलाल व्यास, ओधव, अमदावादी
25. शांताबेन जशभाई पटेल, रून, आनंद
26. इंदिराबेन बंशीभाई पटेल, रून, आनंद
27. राजेशभाई सरदारजी वाघेला, खोखरा, अहदावादी
28. शिलाबेन मफतभाई पटेल, रून, आनंद
29. मंजुलाबेन कीर्तिभाई पटेल, रून, आनंद
30. चंपाबेन मनुभाई पटेल, रून, आनंद
31. दीवालीबेन रावजीभाई पटेल, मटर, खेड़ा
32.ललिताबेन करनसीभाई पटेल, कड़ी, मेहसाणा
33. मंगुबेन हिरजीभाई पटेल, कड़ी, मेहसाणा
34. प्रह्लादभाई जयंतभाई पटेल, अंबिका टाउनशिप, पटना
35. भीमजीभाई करसनभाई पटेल, खेड़ब्रह्मा, साबरकांठा
36. लखुभाई हीराजीभाई पटेल, कुभाधारोल काम्पा, वडाली, साबरकांठा
37. विट्ठलभाई पुरुषोत्तमभाई पटेल, डूंगरजी नी चली, खोखरा, अमदावद
38. शैलेश रणछोड़भाई पांचाल, संकल्प पार्क सोसायटी, सुरेंद्रनगर
39. अमृतभाई जोइताराम पटेल, गमनपुरा, मेहसाणा
40. नरेंद्र नारायणभाई पटेल, वनपर्डी, मंडल, अमदावाडी
41. रमनभाई गंगारामभाई पटेल, नुगर, मेहसाणा

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