फाइजर के सीईओ ने कहा- दो डोज वाली वैक्सीन ओमिक्रॉन के लिए पर्याप्त नहीं, जानें भारतीय वैक्सीन नए वैरिएंट पर असरदार है या नहीं?
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा भारत समेत दुनिया में बढ़ता जा रहा है। कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए दुनियाभर में वैक्सीन के बूस्टर डोज पर विचार किया जा रहा है। कई एक्सपर्ट इसकी हिमायत कर चुके हैं। अब खुलासा हुआ है कि दो डोज वाली वैक्सीन ओमिक्रॉन के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडी नहीं तैयार करती हैं। फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने कहा कि कंपनी के टीके की दो खुराक ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमण के खिलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती हैं और मूल शॉट्स ने अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में अपनी कुछ प्रभावकारिता भी खो दी है।
दो खुराक ओमिक्रॉन के लिए पर्याप्त नहीं
फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने कहा कि दो खुराकओमिक्रॉन के लिए पर्याप्त नहीं हैं और मौजूदा टीके की तीसरी डोज ही संक्रमण से मृत्यु के खतरे को कम कर रही है व अस्पताल में भर्ती होने की नौबत से भी राहत दिला रही है। बौर्ला ने कहा कि ओमिक्रॉन पिछले वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक है। ओमिक्रॉन, जिसमें दर्जनों म्यूटेंट हैं, फाइजर के मूल दो डोज द्वारा प्रदान की गई कुछ सुरक्षा से बच सकते हैं।
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इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अध्ययन के आधार पर कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा से ज्यादा तेजी से फैलने के साथ ही वैक्सीन के प्रभाव को भी कम करता है। भारत में ही 18 से ऊपर की 90 फीसदी से ज्यादा आबादी को वैक्सीन की एक डोज लग चुकी है। अब जो लोग संक्रमित मिल रहे हैं, उनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। एक स्टडी बताती है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के मौजूदा वैक्सीन से बच निकलने की 88 फीसदी संभावना है।
