एसोसिएशन करेगा चरणबद्ध आन्दोलन, सरकार की दमनकारी नीतियों से प्राइवेट विद्यालय त्रस्त
झारखण्ड/पाकुड़ : झारखण्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, राँची के क्षेत्रीय निबंधित कार्यालय पाकुड़ की ओर से जूम एप्प के द्वारा प्रदेशस्तरीय बैठक में प्रदेश के सभी जिला के अध्यक्ष, सचिव एवं प्रदेश पदाधिकारियों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश महासचिव रामरंजन कुमार सिंह के द्वारा की गई।
उक्त बैठक को सम्बोधित करते हुए एसोसिएशन के संरक्षक प्रो. के के महाबर ने कहा कि कोरोना महामारी ने शिक्षा को जितना नुकसान किया, उतना पहले कभी नहीं हुआ, यह चिन्ता का विषय है। इस संदर्भ में जितनी गंभीरता होनी चाहिए, उतनी गंभीरता देश की जनता एवं सरकार में नहीं दिख रही है। कोडरमा के अमरेश सिंह ने कहा कि शिक्षा को लेकर सरकार जो बातें कह रही है वह कोरी कल्पना व छलावा मात्र है। ऑनलाइन शिक्षा से किसी बच्चे का कितना भला हुआ, यह सभी जानते हैं। धनबाद सचिव मो. इरफान खान ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य कितना प्रभावित हुआ है, शारीरिक क्षमता कितनी कम हुई है, आँखे कितनी प्रभावित हुई, इस ओर किसी का ध्यान नहीं, जबकि अधिकांश बच्चे ऑनलाइन कक्षा से जुड़ ही नहीं पाये, यह दुर्भाग्य पूर्ण है। वहीं गढवा से अशोक विश्वकर्मा ने कहा कि सरकारी विद्यालय प्राइवेट की तरह सरकार चलायेगी की घोषणा हुई है जबकि मार्गदर्शिका अभी नहीं आया है, विद्यालय को बंद करके आपदा प्रबंधन ने रखा है। सरकार जमीनी कार्य करें हवा -हवाई नहीं।
आगे बैठक में महासचिव ने कहा कि मुख्य तौर पर मार्च 2020 से प्राथमिक विद्यालय लगातार बंद रह रहे हैं। आपदा प्रबंधन, समिति, झारखंड के द्वारा कोरोना का डर दिखाकर नौनिहालों एवं पाँच साल से चौदह साल के बच्चों को शैक्षणिक गतिविधियों से दूर रख रही है, जबकि पड़ोसी राज्यों बिहार, बंगाल, उड़िसा एवं छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्य के प्राथमिक विद्यालय खुल चुके हैं, पठन-पाठन चल रहा है। झारखंड सरकार अपने प्रदेश में ऑंगनवाड़ी केन्द्र को खोल कर चला रही है। राज्य सरकार प्रदेश के शैक्षणिक स्तर को कहाँ लेकर जाना चाहती है, सिर्फ प्रदेश के शिक्षाविदों को ही पता है।
सरकारी प्राथमिक विद्यालय के समस्त शिक्षकों को सरकार वेतन देती है, उनसे शैक्षणिक कार्य छोड़कर अन्य कार्य कराती है, लेकिन प्रदेश में शिक्षा का ज्योत जलाने वाले प्रदेश के समस्त निजी विद्यालय अल्प शैक्षणिक शुल्क लेकर बेहतर, दमदार शिक्षा की नींव बच्चों में डालते है, प्रदेश के समस्त निजी विद्यालय शिक्षा विभाग के द्वारा निर्गत प्रत्येक आदेश का अक्षरश: पालन करते हैं। सरकार से बिना एक पैसा सहायता प्राप्त किये अपने-अपने विद्यालयों का संचालन करते हैं। लेकिन प्रदेश की सरकार निजी विद्यालय को बंद कराने हेतु लगी हुई है।
एक तरफ सरकार कहती है कि प्रदेश में सभी सरकारी विद्यालय प्राइवेट विद्यालय की तरह चलाये जायेंगे। दूसरी तरफ सरकार निजी विद्यालय को बंद कराने पर तुली हुई है।
प्रदेशस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि आपदा प्रबंधन, झारखंड से प्रदेश एसोसिएशन आवेदन के द्वारा माँग करेगा कि प्राथमिक विद्यालय को खोलने पर विचार करे, चाहे जिस नियम के तहत खोला जाय। आर्थिक स्थिति से गरीब तबके के लोग जूझ रहे हैं बच्चे गलत आदत और गलत संगत में दिशाहीन हो गये हैं, शिक्षा व शिक्षालय से उनका सम्पर्क टूट गया है। उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है। यदि सरकार पन्द्रह जनवरी 2022 तक विद्यालय खोलने का निर्णय नहीं लेती है तो प्रदेश के समस्त निजी विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिका एवं शिक्षिकेत्तर कर्मचारियों को आर्थिक पैकेज दे जो भूखमरी के कगार पर हैं अन्यथा एसोसिएशन चरणबद्ध आन्दोलन करने हेतु बाध्य होगी, इसकी सम्पूर्ण जिम्मेवारी सरकार की होगी।
उक्त बैठक में पाकुड़ से अध्यक्ष जे. दत्ता, मनोज कुमार भगत, गब्रियल मुर्मू, साहेबगंज से प्रो.के.के.महाबर, अध्यक्ष मनोज कुमार झा, सत्यजीतकृष्ण, गोड्डा से समीर कुमार दूबे, शशिकांत गुप्ता, देवघर से प्रेम कुमार केसरी, धनबाद से सचिव मो. इरफान खान, संयोजक सुधांशुशेखर, रणजीत कुमार मिश्रा, कोडरमा से अमरेश कुमार, संजीव कुमार, चतरा से आनन्द कुमार सिंह, गिरिडीह से बिजय कुमार सिंह, हजारीबाग से नकुल मंडल, रामगढ़ से मो.एकबाल, पलामू से साइमन मैथ्यू एसले, लातेहार से शशि जी, गढ़वा से अशोक विश्वकर्मा, लोहरदगा से अधिवक्ता, निदेशिका सह प्राचार्य सुषमा सिंह एवं अन्य उपस्थित थे।