उत्तर प्रदेश की बड़ी खबरें: कोरोना के 40 नए मामले दर्ज, अबतक 38.02 लाख मीट्रिक टन हुई धान की खरीदी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में कल एक दिन में कुल 1,42,574 सैम्पल की जांच की गयी, जिसमें कोरोना संक्रमण के 40 नये मामले आये हैं। प्रदेश में अब तक कुल 9,21,50,532 सैम्पल की जांच की गयी हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे में 38 तथा अब तक कुल 16,87,731 लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना के कुल 324 एक्टिव मामले हैं। प्रसाद ने बताया कि कोविड वैक्सीनेशन का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। प्रदेश में कल एक दिन में 4,76,256 डोज दी गयी। प्रदेश में कल तक पहली डोज 12,54,03,759 तथा दूसरी डोज 6,91,73,864 लगायी गयी हैं तथा अब तक कुल 19,45,77,623 डोज दी जा चुकी है। प्रसाद ने बताया कि कोविड संक्रमण अभी पूरी तरह समाप्त नही हुआ है। इसलिए सभी लोग कोविड अनुरूप आचरण करे। टीकाकरण के बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन अवश्य करें। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर कोविड हेल्पलाइन 18001805145 पर सम्पर्क करे। 

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कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ में बालिकाओं के छात्रावास निर्माण हेतु 644.79 लाख रुपए स्वीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार ने मा मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुपालन में कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ में बालिकाओं के छात्रावास निर्माण हेतु 644.79 लाख (छः करोड़ चौवालिस लाख उन्यासी हजार) रुपए की स्वीकृति प्रदान कर दी है। जारी शासनादेश में निर्देशित किया गया है कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखते हुए सम्यक परीक्षण किया जाए। गुणवत्ता की जांच थर्ड पार्टी से अवश्य करा ली जाय, कार्य की विशिष्टियां, मानक व गुणवत्ता की जिम्मेदारी प्रधानाचार्य कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय, उत्तर प्रदेश, सैनिक स्कूल लखनऊ की होगी तथा वे यह सुनिश्चित करेंगे कि कार्य निर्धारित समय अवधि में ही पूर्ण हो जाए। परियोजना का कार्य अनुमोदित लागत में ही यथाशीघ्र पूर्ण कराया जाना सुनिश्चित किया जाए तथा भविष्य में योजना का कोई भी पुनरीक्षण स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि स्वीकृत किए जा रहे इस कार्य हेतु पूर्व में राज्य सरकार अथवा किसी अन्य श्रोत से धनराशि स्वीकृति नहीं की गई है तथा न ही कार्य किसी अन्य कार्ययोजना में सम्मिलित है। धनराशि का उपयोग उसी कार्य में किया जाएगा जिस कार्य हेतु धनराशि स्वीकृत की जा रही है।

बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में सावित्रीबाई फुले के नाम से गर्ल्स हॉस्टल का निर्माण कराए जाने हेतु 295.16 लाख रुपए स्वीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में सावित्रीबाई फुले के नाम से गर्ल्स हॉस्टल का निर्माण कराए जाने हेतु 295.16 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत कर दी है। जारी शासनादेश में निर्देशित किया गया है की छात्रावास का निर्माण कार्य अनुमोदित लागत में ही यथाशीघ्र पूर्ण कराया जाना सुनिश्चित किया जाए तथा भविष्य में योजना का कोई भी पुनरीक्षण स्वीकार नहीं किया जाएगा। परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित कार्यों की डुप्लीकेसी को रोकने की दृष्टि से प्रायोजना की स्वीकृति से पूर्व विश्वविद्यालय/कार्यदायी संस्था द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह कार्य पूर्व में किसी अन्य योजना/कार्यक्रम के अंतर्गत ना तो स्वीकृत है और ना वर्तमान में किसी अन्य योजना/कार्यक्रम में आच्छादित किया जाना प्रस्तावित है। कार्यों का सम्यक परीक्षण नियमानुसार किया जाय एवं निर्माण कार्य की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाय। धनराशि का उपयोग उसी कार्य में किया जाएगा जिस कार्य हेतु धनराशि स्वीकृत की जा रही है। निर्माण कार्यों कि गुणवत्ता एवं निर्माण कार्य की प्रगति के सतत अनुश्रवण हेतु एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा समिति द्वारा किए गए अनुश्रवण एवं संस्तुतियों सहित फीडबैक शासन को प्रेषित किया जाएगा।

प्रदेश के विभिन्न जिलों में निर्माणाधीन 09 राजकीय महाविद्यालयों के भवन/संकाय निर्माण हेतु 06 करोड़ 32 लाख 17 हजार रूपए स्वीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में निर्माणाधीन 09 राजकीय महाविद्यालयों के भवन/संकाय निर्माण हेतु वित्तीय वर्ष 2021-22 हेतु 632.17 लाख (06 करोड़ 32 लाख 17 हजार) रूपए की वित्तीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है। जारी शासनादेश में राजकीय महिला महाविद्यालय पिहानी (विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय) हेतु 65.00 लाख रुपए, राजकीय महाविद्यालय जखौरा, ललितपुर हेतु 45.81 लाख रुपए, ठाकुर रोशन सिंह राजकीय महिला महाविद्यालय, नवादा, दारोबस्त कटरा शाहजहांपुर हेतु 74.48 लाख रुपए, राजकीय महाविद्यालय मधुबन, मऊ हेतु 74.48 लाख रुपए, राजकीय महाविद्यालय बैरिया, बलिया हेतु 74.48 लाख रुपए, राजकीय महाविद्यालय मेजा, प्रयागराज हेतु 74.48 लाख रुपए, राजकीय महाविद्यालय माधौगढ़, जालौन हेतु 74.48 लाख रुपए, राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बेहट, सहारनपुर हेतु 74.48 लाख रुपए, राजकीय महिला महाविद्यालय मुसाफिरखाना, अमेठी हेतु 74.48 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है। जारी शासनादेश में निर्देशित किया गया है की स्वीकृति की जा रही धनराशि का उपयोग उसी कार्य में किया जाएगा जिस कार्य एवं मद हेतु धनराशि स्वीकृत की जा रही है। स्वीकृत की जा रही धनराशि का उपयोग 31 मार्च 2022 तक किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। परियोजना का कार्य अनुमोदन लागत में ही यथाशीघ्र पूर्ण कराया जाना सुनिश्चित किया जाए तथा भविष्य में योजना का कोई भी पुनरीक्षण स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रायोजना के अंतर्गत प्रस्तावित कार्यों की डुप्लीकेसी को रोकने की दृष्टि से प्रायोजना की स्वीकृति से पूर्व विभाग द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि यह कार्य पूर्व में किसी अन्य योजना/कार्यक्रम के अंतर्गत ना तो स्वीकृत है और ना वर्तमान में किसी अन्य योजना/कार्यक्रम में आच्छादित किया जाना प्रस्तावित है। कार्यों का सम्यक परीक्षण नियमानुसार किया जाय एवं निर्माण कार्य की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाय। 

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प्रदेश में 12 नई आसवनियों की स्थापना तथा 20 औद्योगिक आसवनियों की क्षमता

अपर मुख्य सचिव आबकारी विभाग संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा अवगत कराया गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश तथा आबकारी मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री के निर्देश के अनुपालन में प्रदेश के विकास के क्रम में नये उद्योगों की स्थापना तथा आबकारी विभाग में पहले से चली आ रही व्यवस्थाओं और नियमों को सरल कर इज आफ डूइंग बिजनेस की नीति अपनाते हुए विभागीय क्रियाकलापों को अत्यन्त आसान बनाने के लिये लगातार कार्य किये जा रहे हैं और उत्तर प्रदेश में विभिन्न औद्योगिक इकाईयों को स्थापित कराते हुए प्रदेश में निवेश के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। अपर मुख्य सचिव द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि विगत साढ़े चार वर्षों में कोआपरेटिव तथा प्राइवेट सेक्टर में कुल 12 नई आसवनियों की स्थापना की गई है। कोआपरेटिव सेक्टर के अन्तर्गत बिजनौर आजमगढ़ में 02 नई आसवनियों की स्थापना हुई है। कोआपरेटिव क्षेत्र की स्नेह रोड बिजनौर में 40 के0एल0पी0डी0 क्षमता की नई आसवनी स्थापित की गयी जिस पर 51.37 करोड़ का निवेश किया गया है। कोआपरेटिव क्षेत्र की ही सठियांव आजमगढ़ में 30 के0एल0पी0डी0 क्षमता की नई आसवनी स्थापित की गयी जिस पर कुल 56.41 करोड़ का निवेश किया गया है। इन आसवनियों की स्थापना से चीनी मिलों की आर्थिक स्थितियों में सुधार होने के साथ-साथ गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य के भुगतान में भी सुगमता होगी और अतिरिक्त रोजगार का सृजन भी प्राप्त होगा। इसी प्रकार प्राइवेट क्षेत्र में जनपद-पीलीभीत, हरदोई, शाहजहॉंपुर, मुरादाबाद, बुलन्दशहर, लखीमपुर खीरी, बहराइच तथा सीतापुर में कुल 10 नई आसवनियों की स्थापना की गई है। इन आसवनियों की स्थापना से आसवनियों की कुल अधिष्ठापित क्षमता में लगभग 3,737 लाख लीटर की वृद्धि हुई है। इन आसवनियों की स्थापना में कोआपरेटिव क्षेत्र के अन्तर्गत जहॉं 108 करोड़ रूपये का निवेश प्राप्त किया गया वहीं प्राइवेट क्षेत्र के उद्यमियों को आकर्षित करते हुए 1,133 करोड़ रूपये का निवेश अब तक कराया जा चुका है। इसके अतिरिक्त आसवनियों के स्थापित होने से 2,291 करोड़ रूपये का और निवेश प्राप्त किया जायेगा। आसवनियों की स्थापना से प्रदेश में लगभग 3,200 नये रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

अपर मुख्य सचिव द्वारा यह भी बताया गया कि पूर्व स्थापित 20 औद्योगिक आसवनियों में 1,576.5 लाख लीटर तथा 07 आसवनियों की पेय क्षमता में 898.16 लाख लीटर की वृद्धि की गयी। क्षमता विस्तार के फलस्वरूप लगभग 1000 करोड़ रूपया का निवेश प्राप्त किया गया और 1200 व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। इसी प्रकार प्रदेश में विगत साढ़े चार वर्षों में 03 यवासवनियों के स्थापित किये जाने के लिये अनुज्ञापन स्वीकृत किये गये है। यह यवासवनियॉं जनपद सम्भल, सोनभद्र तथा बाराबंकी में स्थापित की जायेंगी। इन इकाईयों की स्थापना से कुल 12.48 हेक्टोलीटर बीयर के उत्पादन में वृद्धि होगी। इन इकाईयों की स्थापना में कुल रू. 165 करोड़, उद्यमियों द्वारा निवेश किया गया है। इन इकाईयों की स्थापना में 440 रोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे। प्रदेश में शहरों के विकास को देखते हुए बड़े जनपदों- कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद, गोरखपुर, प्रयागराज, मेरठ, आगरा, लखनऊ, मुरादाबाद एवं बरेली जैसे जनपदों में बढ़ते होटल व्यवसाय और बीयर के उपभोक्ताओं को ताजा बीयर उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से शासन द्वारा माइक्रोबिवरी की स्थापना करने का निर्णय लिया गया। अब तक प्रदेश में होटल एवं रेस्टोरेन्ट उद्यमियों में जनपद नोएडा, गाजियाबाद, आगरा, बरेली और लखनऊ में 12 उद्यमियों को माइक्रोबिवरी का लाइसेंस निर्गत किया जा चुका है। माइक्रोब्रिवरी जौ आधारित उद्योग होने के कारण जौ के उत्पादन में भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे किसानों को भी इसका अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त होगा। माइक्रोब्रिवरी की स्थापना से लगभग रू. 12 करोड़ का निवेश प्राप्त किया गया है। माइक्रोब्रिवरी की स्थापना से होटल एवं पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को फ्रेश बीयर उपलब्ध हो सकेगा तथा राजस्व में भी वृद्धि होगी।

आबकारी विभाग प्रदेश में वाइनरीज उद्योगों की स्थापना के लिये भी प्रयासरत है। प्रदेश में बड़ी मात्रा में सब-ट्रापिकल फलों जैस आम जामुन पीच आदि का उत्पादन बहुतायात में होता है। खपत से अवशेष एवं खराब हो रहे फलों से वाइन उत्पादन इकाईयॉं स्थापित कराने के लिये भी सरकार लगातार प्रयासरत है। सरकार के इस योजना से फल उत्पादक किसानों के उनके खराब हो रहे फलों का सुदपयोग हो सकेगा तथा किसानों को इसका उचित मूल्य भी प्राप्त हो सकेगा तथा वाइनरीज की स्थापना रोजगार का सृजन एवं राजस्व की प्राप्त भी सुनिश्चित हो सकेगी। प्रदेश में विगत वर्षों में कोरानों महामारी की रोकथाम मे अल्कोहल से सेनेटाइजर बनाने में कीर्तिमान स्थापित किया गया। प्रदेश में कोरोना के दौरान त्वरित गति से कुल 97 सेनेटाइजर इकाईयों को लाइसेंस प्रदान किया गया। उत्तर प्रदेश निर्मित सेनेटाइजर केवल प्रदेश में ही नही, बल्कि प्रदेश के बाहर अन्य राज्यों को भी निर्यात किया गया। सेनेटाइजर इकाईयों की स्थापना से लगभग 1700 लोगों को रोजगार के नये अवसर प्राप्त हुए तथा लगभग रू. 25 करोड़ का निवेश उद्यमियों द्वारा किया गया।

प्रदेश में बार अनुज्ञापनों की प्रक्रिया को सरल एवं सुगम बनाते हुए विगत वर्षों में 125 नये बार अनुज्ञापनों की स्वीकृति प्रदान की गयी, जिसके अन्तर्गत लगभग रू. 16 करोड़ लाइसेंस फीस के रूप में निवेश प्राप्त हुआ तथा लगभग 600 युवकों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुये। आबकारी दुकानों के व्यवस्थापन से आबकारी व्यवसायियों द्वारा लगभग 1,800 करोड़ रूपया प्रतिवर्ष का निवेश लाइसेंस फीस के रूप में किया गया तथा दुकानों के प्रबन्धन में लगभग 54,000 व्यक्तियों के रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये। अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी द्वारा आगे यह भी बताया गया कि आबकारी विभाग इज आफ डूइंग बिजनेस के अन्तर्गत नियमों एवं प्रक्रियाओं को सुगम एवं सरल बनाते हुए पूरी तरह से उद्यामियों से औद्योगिक इकाईयों की स्थापना और उसमें अधिकतम निवेश के लिये सतत् प्रयत्नशील है। शासन के इस प्रयास से प्रदेश में बड़ी संख्या में आसवनी, यवासवनियॉं, माइक्रोबिवरी, रेस्टोरेन्ट बार अनुज्ञापन, सेनेटाइजर इकाईयों की स्थापना सुनिश्चित की गयी जिसमें उद्यमियों से लगभग रू. 6545 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ तथा लगभग 60,000 लोगों के लिये रोजगार के अवसर सृजित हुए।

अबतक 38.02 लाख मीट्रिक टन हुई धान खरीद

खरीफ खरीद वर्ष 2021-22 के तहत प्रदेश में खोले गए विभिन्न क्रय केन्द्रों के माध्यम से, अब तक 3802479.92 मीट्रिक टन धान की खरीद की गयी है। इस योजना से 547938 किसानों को लाभान्वित किया गया है तथा उनके खातों में 5381.22 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है। खाद्य एवं रसद विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज 4708.43 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है। खरीद लक्ष्य के सापेक्ष 54.32 प्रतिशत खरीद की जा चुकी है। धान खरीद केन्द्रों पर किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसका पूरा-पूरा ध्यान रखते हुए खरीद की जा रही है।

संरक्षित छुट्टा गोवंश की देखभाल हेतु 25 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के छुट्टा गोवंश की देखभाल हेतुु 25.00 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत की है। स्वीकृत धनराशि का व्यय अस्थायी गोवंश आश्रय की स्थापना, संचालन व संरक्षित गोवंश के भरण-पोशण में किया जायेगा। आवंटित धनराशि का उपयोग अधिकतम 30 रूपये प्रतिदिन की दर से प्रति गोवंश हेतु किया जाएगा। इस संबंध में पशुधन विभाग द्वारा शासनादेश जारी करते हुए निदेशक, प्रशासन विकास पशुपालन विभाग को अस्थाई गोवंश आश्रय के सुचारू संचालन के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं। शासनादेश में कहा गया है कि स्वीकृत धनराशि से अस्थाई गोवंश आश्रय की स्थापना, संचालन व संरक्षित गोवंश के भरण-पोशण का कार्य कराए जाने एवं उसके अग्रेतर संचालन की पूर्ण जिम्मेदारी संबंधित जिलाधिकारी की होगी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा निराश्रित/बेसहारा गोवंश के निराकरण के लिये उत्तर प्रदेश के समस्त ग्रामीण व शहरी स्थानीय निकायों यथा ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निकायों में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना व संचालन नीति प्रख्यापित की गयी है, जिसके तहत संरक्षित छुट्टा गोवंश की देखभाल का निरन्तर कार्य किया जा रहा है। 

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स्टाम्प कमी के वादों की समाधान योजना पुनः लागू

विशेष सचिव स्टाम्प एवं निबंधन अजय कुमार अवस्थी ने आयुक्त स्टाम्प महानिरीक्षक निबंधन, समस्त मण्डलायुक्त एवं समस्त जिलाधिकारियों को एक कार्यालय आदेश जारी कर बताया कि प्रदेश में स्टाम्प कलेक्टर एवं मा0 सीसीआरए के पीठासीन अधिकारीगण के न्यायालयों में काफी संख्या में भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के अन्तर्गत लम्बित स्टाम्प वादों के त्वरित निस्तारण हेतु उनमें निहित स्टाम्प कमी की धनराशि को शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त करने के लिए तथा जन सामान्य को अधिकाधिक सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से शासन द्वारा स्टाम्प कमी के वादों की एक समाधान योजना लागू करने का निर्णय किया गया है। अवस्थी ने बताया कि इन वादों में राज्य सरकार की राजस्व क्षति निहित है। इनके निस्तारण से राज्य को इंगित स्टाम्प कमी के सापेक्ष धनराशि शीघ्रता से प्राप्त हो सकेगी वहीं सम्बंधित पक्षकारों को भी न्याय में विलम्ब के कारण बढ़ने वाली ब्याज की देयता से राहत प्राप्त होगी। अवस्थी ने बताया कि उक्त योजना के अन्तर्गत स्टाम्प कलेक्टर न्यायालयों तथा मा0 सीसीआरए के पीठासीन अधिकारी अपने यहां लम्बित वादों के पक्षकारों को निर्धारित प्रारूप पर नोटिस भेजकर उन्हें योजना की समस्त जानकारी से अवगत कराएंगे। विशेष सचिव ने बताया कि यह समाधान योजना 31 मार्च, 2022 की अवधि तक प्रभावी रहेगी। उन्होंने बताया कि योजना के अन्तर्गत न्यायालय/मा0 सीसीआरए के पीठासीन अधिकारी को पक्षकार द्वारा प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये जाने के एक माह के अन्दर वाद का अंतिम रूप से निस्तारण करना अनिवार्य होगा। अवस्थी ने उक्त योजना का विस्तृत प्रचार-प्रसार किये जाने का निर्देश भी सम्बंधित अधिकारियों को दिए, जिससे कि जो पक्षकार सन्दर्भण आख्या में इंगित स्टाम्प कमी को देकर अपने वाद का निस्तारण कराने का इच्छुक हो उसे नियत अवधि में जानकारी व अवसर प्राप्त हो सके। योजना के अन्तर्गत सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया है कि उनके जनपद के सभी कलेक्टर स्टाम्प के न्यायालयों व मा0 सीसीआरए के पीठासीन अधिकारी के न्यायालयों में लम्बित स्टाम्प वादों में ऐसा कोई प्रकरण निस्तारण हेतु अवशेष न हो।

जनपद गाजीपुर, इलाहाबाद, फतेहपुर, झांसी एवं आगरा में लिफ्ट कैनाल के लिए 813.47 लाख रूपए स्वीकृत

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा जनपद गाजीपुर, इलाहाबाद, फतेहपुर, झांसी एवं आगरा में सिंचाई यांत्रिक विभाग से संचालित वृहद एवं मध्यम लिफ्ट पम्प नहरों की आधुनिकीकरण की परियोजना हेतु प्राविधानित धनराशि 25000 लाख रुपये के सापेक्ष 813.47 लाख रूपये जरौली पम्प नहर हेतु 219.39 लाख रूपये, टौंस पम्प नहर के लिए 01 करोड़ रूपये एवं चम्बल नहर हेतु 494.08 लाख रूपये अवशेष कार्याें पर व्यय हेतु अवमुक्त करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद की ओर से 22 दिसम्बर, 2021 को शासनादेश जारी करते हुए कहा गया है कि परियोजना का निर्माण कार्य समय से पूरा कराने के साथ ही धनराशि व्यय करते समय शासन द्वारा समय-समय पर जारी सुसंगत शासनादेशों का अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जाये। स्वीकृत धनराशि का उपयोग स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये। ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर समस्त उत्तरदायित्व सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग का होगा। परियोजना में कराये जाने वाले कार्यों में गुणवत्ता एवं समय से मुख्य अभियंता द्वारा कराया जाना सुनिश्चित किया जायेगा। परियोजना हेतु अवमुक्त की गयी धनराशि से कराये गये कार्यों को सम्बंधित मुख्य अभियंता द्वारा स्थलीय निरीक्षण कर आख्या एवं फोटो आदि को प्रस्तुत करना होगा।

सिंचाई विभाग के विभिन्न जनपदों में स्थापित 6600 राजकीय नलकूपों की जल वितरण प्रणाली के आधुनिकीकरण एवं उपकरणों की प्रतिस्थापना हेतु 01 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थापित 6600 राजकीय नलकूपों की जल वितरण प्रणाली के आधुनिकीकरण एवं उपकरणों की स्थापना की परियोजना (नाबार्ड पोषित) हेतु प्राविधानित धनराशि 2857983000 रूपये की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान करते हुए इसके सापेक्ष 01 करोड़ रूपये व्यय हेतु अवमुक्त करने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद की ओर से 22 दिसम्बर, 2021 को शासनादेश जारी करते हुए कहा गया है कि परियोजना का निर्माण कार्य समय से पूरा कराने के साथ ही धनराशि व्यय करते समय शासन द्वारा समय-समय पर जारी सुसंगत शासनादेशों का अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जाये। स्वीकृत धनराशि का उपयोग स्वीकृत परियोजनाओं पर ही किया जाये। ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर समस्त उत्तरदायित्व सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग का होगा। परियोजना में कराये जाने वाले कार्यों में गुणवत्ता एवं समय से मुख्य अभियंता द्वारा कराया जाना सुनिश्चित किया जायेगा। परियोजना के लिए सक्षम स्तर से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के पश्चात ही कार्य शुरू कराया जाय। भ्रष्टाचार पर ’जीरो टॉलरेन्स’ की नीति का अनुसरण करते हुए सहकारी चीनी मिलों के भ्रष्ट अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए कड़ा संदेश

प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी तथा निबन्धक, सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियाँ, संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा बताया गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर ’जीरो टॉलरेन्स’ की नीति का अनुसरण करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जा रही है। इसी क्रम में दि किसान सहकारी चीनी मिल्स लि., बिलासपुर जिला-रामपुर में हुए भ्रष्टाचार के प्रकरण में भी कठोर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए चीनी मिल को रू.181.33 लाख की वित्तीय क्षति पहुँचाने वाले सभी दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए वसूली के आदेश निर्गत किए गए हैं। इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए निबन्धक द्वारा बताया गया कि रूद्र बिलास किसान सहकारी चीनी मिल लि., बिलासपुर, रामपुर में वित्तीय क्षति/गबन का प्रकरण कुछ समय पूर्व ही प्रकाश में आया था। इस प्रकरण पर उ.प्र. सहकारी चीनी मिल्स संघ लि., लखनऊ एवं जिलाधिकारी, लखनऊ के स्तर से विस्तृत जाँच कराई गई। जाँच में सहकारी चीनी मिल, बिलासपुर (रामपुर) में रिपेयर मेन्टीनेन्स, ओवरटाइम का भुगतान, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को भुगतान, कॉन्ट्रेक्ट लेबर को भुगतान, सीज़नल कर्मचारियों को ऑफ सीज़न में कार्य पर लेने पर भुगतान, नियंत्रण योग्य प्रशासनिक व्यय, बिजली के सामान खरीद, डीज़ल क्रय एवं निस्प्रयोज्य खोई के क्रय आदि मदों में रू.181.33 लाख की वित्तीय अनियमितता सिद्ध पायी गई। जाँच में दोषी पाए गए डी.पी. सिंह, तत्कालीन प्रधान प्रबन्धक, ए.के. दास, तत्कालीन मुख्य अभियंता, प्रेमकान्त, तत्कालीन मुख्य रसायनविद्, एम.पी. सिंह, तत्कालीन मुख्य रसायनविद् एवं आई.यू. खान, तत्कालीन मुख्य लेखाकार के विरूद्ध निबन्धक, सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियाँ, उत्तर प्रदेश द्वारा उ. प्र. सहकारी समिति अधिनियम 1965 की धारा 65 व 66 के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए वसूली के आदेश पारित किए गए हैं। 

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उन्होंने यह भी बताया कि उपरोक्त अधिकारियों के अतिरिक्त दोषी पाए अन्य कार्मिकों सौरभ बंसल, तत्कालीन मुख्य लेखाकार एवं त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन मुख्य गन्ना अधिकारी के अभी कार्यरत रहने के कारण इनके विरूद्ध वसूली की कार्यवाही हेतु प्रबन्ध निदेशक, उ.प्र सहकारी चीनी मिल्स संघ लि., लखनऊ को निर्देशित किया गया है। निबन्धक द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि शासन के निर्देशानुसार भ्रष्टाचार पर ’जीरो टॉलरेन्स’ की नीति का अनुसरण किया जा रहा है, एवं यदि किसी भी कार्मिक की संलिप्तता भ्रष्टाचार एवं कदाचरण आदि कार्यो में पायी जाएगी तो उसके विरूद्ध सख्त दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी, जिससे वह दूसरों के लिये नज़ीर बने।

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