विश्वविद्यालय के प्रोफेसर से लेकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम तक, ऐसा रहा डॉ. दिनेश शर्मा का राजनीतिक सफर

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में हर पार्टी अपनी सरकार के कार्यकाल का बखान करने में लगी हुई हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा के कई बड़े नेताओं का चेहरा चुनाव के दौरान काफी महत्वपूर्ण हो जाता हैं। इन्हीं चेहरों में से एक हैं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा। दिनेश शर्मा एक शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं लेकिन पेश से प्रोफेसर रहे हैं इस लिए उनके शांत व्यवहार को कम नहीं आकां जा सकता हैं। डॉ. दिनेश शर्मा ने उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाने में काफी महत्वपूर्ण कदम उठाया हैं। दिनेश शर्मा ने एक सफल भारतीय राजनीतिज्ञ के तौर पर भाजपा के लिए अपनी जिम्मेदारियां निभाई और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किए गये। वह पहले राज्य की राजधानी लखनऊ के मेयर थे। पेशे से लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और उन्होंने बीजेपी में विभिन्न पदों पर कार्य किया है।
 

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राजनैतिक सफर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अटल बिहारी वाजपेयी के खास माने जाने वाले डॉ. दिनेश शर्मा का राजनैतिक सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है। शर्मा की राजनीतिक प्रतिभा को सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखी था। भारतीय जनता पार्टी के कई राजनेताओं की तरह, दिनेश शर्मा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की। कई सालों तक शाखा से जुड़े रहने के बाद दिनेश शर्मा को राजनीतिक रूप से कुछ छोटी मोटी जिम्मेदारियां दी जाने लगी। अपने काम में खरे उतरने के बाद पार्टी ने उन्हें भाजपा के भारतीय जनता युवा मोर्चा (युवा विंग) का प्रदेश अध्यक्ष नामित किया गया।
 

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इसके बाद में दिनेश शर्मा 2006 में लखनऊ के मेयर के रूप में चुने गए। वह 2012 में फिर से चुनाव के लिए खड़े हुए और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नीरज बोरा को 171000 से अधिक मतों से हराया। 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की सफलता में उनके योगदान के बाद, 16 अगस्त 2014 को वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। 19 मार्च 2017 को, उन्हें उत्तर प्रदेश के दो उप मुख्यमंत्रियों में से एक के रूप में नियुक्त किया गया था। वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के निर्वाचित सदस्य नहीं हैं। वह 9 सितंबर 2017 को विधान परिषद (उच्च सदन) के लिए चुने गए। उन्हें उच्च और माध्यमिक शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी विभागों के मंत्रालय आवंटित किए गए थे।

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