हिंद महासागर पर नियंत्रण के जरिये एशिया पर प्रभुत्व कायम करने की फिराक में चीन

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अल्फ्रेड थेयर महान के शब्दों में हिंद महासागर क्षेत्र के महत्त्व को स्पष्ट रूप से समझने की कोशिश करें तो “Whoever controls the Indian Ocean will dominate Asia. The destiny of the world will be decided on its waters” यानी जिसका हिंद महासागर पर नियंत्रण है, उसी का एशिया पर प्रभुत्व है। विश्व की भवितव्यता का निर्णय इसके जल तल पर होगा। वैसे तो ये कथन दशकों पुराने हैं लेकिन वर्तमान संदर्भ में ये सच होता प्रतीत हो रहा है। हिंद महासागर को नियंत्रित करने के लिए युद्ध शुरू हो गया है। चीनी सेना भीतरखाने से भारत को चुनौती देने की फिराक में लगा है। हिंद महासागर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है। यह लगभग 20 प्रतिशत पानी की सतह को कवर करता है।

हिन्द महासागर में चीन के इरादें 

दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती मनमानी से तो हर कोई वाकिफ है। अब दूसरी तरफ हिंद महासागर में वर्चस्व बढ़ाने के लिए चीन तैयारियों में लगा है। चीन हिंद महासागर में अपने एक मिलिट्री बेस बनाने की मंशा पाले है। हिंद महासागर में मौजूद अलग अलग छोटे देशों के साथ भारत अपने संबंधों को और मजबूती तो दे ही रहा है, इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय न्यूज चैनल अलजजीरा ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि हिंद महासागर में भारत काफी मजबूती के साथ एक नौसेना अड्डे का निर्माण कर रहा है और भारत का मकसद हिंद महासागर में अपना रूतबा बढ़ाने के साथ साथ वर्चस्व भी कायम करना है। 

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चीन की नजर हिंद महासागर पर क्यों?

चीन इस वजह से क्यों हावी होना चाहता था? क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था इस पर निर्भर करती है। चीन को आर्थिक हितों की रक्षा के लिए हिंद महासागर की जरूरत है। इन आंकड़ों पर ध्यान से गौर करें। 80 प्रतिशत के करीब तेल दो समुद्री मार्गों से आयात किया जाता है- 1. हिंद महासागर, 2. मलक्का ट्रेट वर्तमान में दोनों ही रास्ते चीनी नियंत्रण से बाहर के हैं। मध्य पूर्व अफ्रीका और यूरोप के साथ चीन का 95 प्रतिशत व्यापार हिंद महासागर से होकर गुजरता है। 

संसाधनों का खजाना

हिंद महासागर हमेशा से बड़ी ताकतों के स्ट्रैटिजिक रेडार पर रहा है क्योंकि यह जलक्षेत्र तेल, खनिज, मछली जैसे संसाधनों से भरपूर है। दुनिया भर के कारोबार का बड़ा हिस्सा इसी रूट से गुजरता है। भारत में आर्थिक विकास के लिए भी यह जरूरी है कि उसकी ब्लू इकॉनमी (अर्थव्यवस्था का समुद्र से जुड़ा पहलू) में तेजी आए। भारत के तेल आयात का भी बड़ा हिस्सा हिंद महासागर के रूटों से ही गुजरता है। ऐसे में जरूरी है कि भारत हिंद महासागर में ताकत बने और जलक्षेत्र से जुड़े पड़ोसी देशों का विश्वास हासिल करे।

 

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