चुनाव आयोग को पीएमओ की ओर से भेजी गई चिट्ठी पर कानून मंत्रालय ने दी सफाई,कहा-सीईसी को नहीं दिया था बैठक का न्योता
मोदी सरकार की ओर से चुनाव आयोग को पत्र भेजकर बैठक में बुलाए जाने पर विवाद को बढ़ता देखते हुए कानून मंत्रालय ने इस पर सफाई दी है। कानून मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि बैठक में सेक्रेटरी या विषय से परिचित मुख्य चुनाव आयुक्त के प्रतिनिधि के शामिल होने की अपेक्षा की जाती है। इसके अलावा मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने कॉमन इलेक्टोरल रोल पर आयोजित बैठक में बुलाए जाने से संबंधित इस पत्र पर नाराजगी व्यक्त की थी। आपको बता दें कि इस मामले पर विपक्ष ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी शुक्रवार को केंद्र सरकार पर हमला करते हुए विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार देश में संस्थाओं को नष्ट करने के मामले में अधिक नीचे गिर गई है। रणदीप सुरजेवाला ने अपने एक बयान में कहा डीजे बेनकाब हो गई हैं। अब तक जो बातें कही जा रही थी वह सच हैं।
अब आई है कानून मंत्रालय की सफाई
इस पूरे मामले में कानून मंत्रालय ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि 16 नवंबर की बैठक काफी समय से लंबित सुधारों पर कैबिनेट नोट को अंतिम रूप देने के लिए थी। यह एक वर्चुअल बैठक थी। कानून मंत्रालय के बयान में कहा गया कि, मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक़्तों के साथ बाद की बातचीत अनौपचारिक थी। यह बैठक फाइनल प्रपोजल के लिए दो या तीन पहलुओं पर विचार करने के लिए आयोजित की गई थी। कानून मंत्रालय ने आगे कहा कि, 12 नवंबर को पीएमओ से ओरिजिनल मीटिंग नोटिस में कैबिनेट सचिव,कानून सचिव, और लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट को संबोधित किया गया था न कि सीआईसी को। कानून मंत्रालय ने कहा कि उसने चुनाव आयोग के प्रतिनिधियों को पीएमओ की बैठक में शामिल होने के लिए एक पत्र भेजा था क्योंकि पोल पैनल के पास इलेक्टरल रोल से जरूरी विशेषज्ञता है।
कानून मंत्रालय के बयान के मुताबिक पत्र में चुनाव आयोग में सचिव के स्तर के एक अधिकारी को संबोधित किया गया था और पत्र के अंतिम ऑपरेटिव पैराग्राफ में भी नो आयोग के सेक्रेटरी से बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया गया था। लेकिन 15 तारीख को जारी पत्र के सब्जेक्ट लाइन में लिखा है, पीएमओ के साथ कॉमन इलेक्टोरल रोल पर वीडियो कॉन्फ्रेंस सीईसी के साथ इंटरेक्शन के संबंध में।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने जाहिर की थी नाराजगी
मंत्रालय ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा पत्र प्राप्त होने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ने लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी से बात की। उन्होंने पत्र के मिडल पार्ट को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की।
क्या है पूरा मामला
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य चुनाव आयुक्त व सुशील चंद्र और दो चुनाव आयुक्त राजीव कुमार अनूप चंद्र पांडे को आपत्तियां जताने और अपना अधिकार बताने के बावजूद 16 नवंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय की ऑनलाइन बातचीत में शामिल होना पड़ा था। अखबार लिखता है इस दिन चुनाव आयोग को कानून मंत्रालय से एक असामान्य पत्र प्राप्त हुआ, इस पत्र में लिखा था कि पीएम के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा कॉमन इलेक्टोरल रोल पर एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे और सीईसी के इस बैठक में मौजूद होने की उम्मीद है। एक्सप्रेस के मुताबिक एक अधिकारी ने कहा कि इस तरह के शब्दों से चुनाव आयोग में हड़कंप मच गया एक समन की तरह लग रहा था दो संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन करता है। हालाकिं मुख्य चुनाव आयुक्त और दोनों चुनाव आयुक्त इस मीटिंग से दूर रहे थे। इस मीटिंग में उनके अधीनस्थ मौजूद थे पिछले साल भी एक बैठक 13 अगस्त को हुई थी ने भी चुनाव आयोग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। चुनाव आयुक्तों ने नहीं।
