कोवैक्सीन कोरोना से लडाई में 50 फिसदी ही असरदार है। ऐसा दावा लैंसेट ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है। द लैंसेट ने हाल ही में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में ये कहा कि कोवैक्सीन की दो खुराक जिसे BBV152 के रूप में जाना जाता है रोगसुचक के खिलाफ 78 प्रतिशत प्रभावी थी।
अब नए अध्यन में जो 15 अप्रैल से 15 मई के बीच दिल्ली में एम्स के 2714 कर्मियों पर आकलन किया गया जिसमें ये बात सामने आई। शोधकर्ताओँ नें दावा किया कि अध्यन अवधी के दौरान कोविड का डेल्टा संक्रमण हावी था। जो सभी पुष्टी  किए  गए कोविड 19 मामलों में लगभग 80 प्रतिशत था।

 

 

 

आपको बता दें कि कोवैक्सीन हैदराबाद स्थित भारत बायोटक के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरेलाॉजी और इडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से विकसित की गई है। जो एक वायरस टीका है जिसकी दो खुराक लेनी अनिवार्य है। इस साल जनवरी में भारत में 18 साल के और उससे उपर के लोगों पर इस वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे कोविड 19 में उपयोगी माना और दूसरी लहर के उछाल के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों पर इसका परिक्षण  किया गया जिन्हें मुख्य रूप से कोवैक्सीन की पेशकश की गई थी।

 

 

 

 

आंकड़ो के अनुसार कोवैक्साीन का टीका बिना किसी लक्षण वाले मरिजो पर 63 प्रतिशत की सुरक्षा प्रदान करता है। कोविड 19 की दूसरी लहर के दौरान भी कोवैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65 प्रतिशत और सार्स  सीवोवी 2 के सभी प्रकारों के खिलाफ 78 प्रतिशत तक कारगर है।  देश में निर्मित यह टीका कोविड 19 के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93 प्रतिशत तक प्रभावी है।
आकाश भगत

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