1996 के बांका कोषागार चारा घोटाले ने बढ़ाई लालू की मुश्किलें, कोर्ट ने दिया पेशी का निर्देश

बीमार लालू यादव की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। चारा घोटाला मामले में लालू की परेशानी लगातार बड़ती जा रही हैं। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने लालू यादव समेत 28 आरोपियों को 23 नवंबर 2021 को अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है।  ये मामला भागलपुर से बांका जिले के उपकोषागार से फर्जी पत्र के सहारे 46 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है। इसी केस में विशेष कोर्ट ने अनुपस्थित अभियुक्तों के बारे में सीबीआई को निर्देश दिया है कि रिपोर्ट दें कि वो जिंदा हैं या मर गए। 

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बता दें कि इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान लालू यादव समेत तीन अभियुक्तों ने बीमारी का कारण देते हुए कोर्ट में वकील के माध्यम से उपस्थित होकर 317 का आवेदन दिया था और कोर्ट में अनुपस्थित होने का कारण बताया था। अदालत ने आवेदन को स्वीकार करते हुए 23 नवंबर को सभी आरोपियों को खुद ही उपस्थित होने का आदेश दिया। 

क्या है चारा घोटाला

लालू के दूसरे कार्यकाल के दौरान बिहार में ‘जंगलराज’ की शुरुआत हुई। 1996 की जनवरी में पश्चिम सिंहभूम में एनिमल हसबैंडरी विभाग के दफ्तर पर एक रेड पड़ी। इसमें जब्त हुए दस्तावेज़ सार्वजनिक हो गए। भूसे के बदले बिहार सरकार के खज़ाने से अनाप-शनाप बिल पास करवाए जा रहे थे। इसे चारा घोटाला कहा गया। इल्ज़ाम लगा जगन्नाथ मिश्र और लालू प्रसाद यादव पर। 11 मार्च 1996 को पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाला के सीबीआई जांच के आदेश दिए। जिसके बाद लालू यादव ने अपनी मर्ज़ी के अनुसार 30 जुलाई को सीबीआई कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। चारा घोटाला मामले में प्रारंभ में कुल 44 अभियुक्त बनाए हए थे। वर्तमान में 28 अभियुक्तों पर मामला चल रहा है। आधा दर्जन अभियुक्तों की मरने की सूचना कोर्ट तक आ चुकी है। 

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