Sawan Kalashtami 2025: सावन कालाष्टमी व्रत से नकारात्मकता होती है दूर
17 जुलाई को सावन कालाष्टमी व्रत है, सावन मास शिव जी का सबसे प्रिय महीना है, जो भक्त और भगवान के बीच आध्यात्मिक सम्बन्धों को सशक्त करता है। सावन मास में इस व्रत विशेष महत्व है तो आइए हम आपको सावन कालाष्टमी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें सावन कालाष्टमी के बारे में
सावन कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। कालाष्टमी, हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, और शास्त्रों में इस महीने की कालाष्टमी को तंत्र साधनाओं और विशेष अनुष्ठानों के लिए फलदायी माना गया है। राहु दोषों से राहत के लिए यह दिन इसलिए भी शुभ है, क्योंकि राहु भगवान शिव के परम भक्त हैं और कालाष्टमी को भैरव की आराधना का दिन माना गया है। इस साल सावन मास की कालाष्टमी 17 जुलाई, 2025 को मनायी जा रही है। इसलिए, उत्तराखंड के राहु पैठाणी और मध्य प्रदेश के काल भैरव मंदिर में संयुक्त रूप से आयोजित होने जा रहा राहु-भैरव दोष भंजन अनुष्ठान भक्तों को मुश्किलों से निकालकर एक नई दिशा दिखा सकता है।
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प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर काल भैरव देव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कामों में सफलता पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साधक श्रद्धा भाव से कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की पूजा करते हैं।
भगवान शिव के रूप भैरव की आराधना से इंसान के जीवन में ग्रह दोष और नकारात्मकता का नाश शुरू हो जाता है। सावन के पवित्र महीने में शिव जी की ऊर्जा और भैरव देव का आशीर्वाद, इंसान को झंझटों से निकालकर खुशहाली की तरफ ले जाने की दिशा दिखाता है।
सावन कालाष्टमी व्रत के दिन ऐसे करें पूजा, मिलेगा लाभ
पंडितों के अनुसार सावन माह के कालाष्टमी व्रत के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान शिव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर पीले या सफेद रंग के कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। तदोपरांत, पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। पूजा कक्ष को साफ करें और वेदी पर काल भैरव की प्रतिमा स्थापित करें। पंचामृत से अभिषेक करें, इत्र लगाएं, फूलों की माला चढ़ाएं, चंदन का तिलक लगाएं। पूजा के समय भगवान शिव को सफेद रंग के फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें। आरती कर पूजा संपन्न करें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काल भैरव अष्टक का पाठ करें। आरती से पूजा समाप्त करें और क्षमायाचना करें। अगले दिन प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलें। जरूरतमंदों को भोजन कराएं और उनकी मदद करें।
सावन कालाष्टमी व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप, होंगे लाभान्वित
पंडितों के अनुसार सावन कालाष्टमी व्रत के दिन विशेष पूजा कर इन मंत्रों का जाप करें
ओम शिवगणाय विद्महे गौरीसुताय धीमहि तन्नो भैरव प्रचोदयात।।
ओम कालभैरवाय नम:
ओम भ्रां कालभैरवाय फट्
धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्।द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।
सावन कालाष्टमी पर बन रहे हैं ये शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह की कालाष्टमी पर सुकर्मा और शिववास का संयोग बन रहा है। शिववास योग शाम 07 बजकर 08 मिनट से बन रहा है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। शिववास योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाएंगे।
सावन कालाष्टमी व्रत का है विशेष महत्व
सावन कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। यह दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा करने से शनि दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
सावन कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त
पंडितों के अनुसार अष्टमी तिथि 17 जुलाई को शाम 7:08 बजे शुरू होगी और यह तिथि 18 जुलाई को शाम 5:01 बजे समाप्त होगी। निशा काल में पूजा का समय 17 जुलाई को रात 12:07 बजे से 12:48 बजे तक रहेगा। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के भय और संकट दूर होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान भैरव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें नकारात्मक शक्तियों से बचाते हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत शनि और राहु के बुरे प्रभावों को कम करने में भी सहायक माना जाता है। भक्तों के लिए मासिक कालाष्टमी भगवान काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
– प्रज्ञा पाण्डेय